कार्यक्रम - ग्रामीण कवि सम्मेलन

दिनांक - 23 जून 2019

आमंत्रित कविगण - श्री विट्ठल पारीक (जयपुर, राजस्थान), श्री रवीन्द्र ‘रवि’ (ग्वालियर, म.प्र.) एवं शिवम् कुमार ‘आजाद’ (अलीगढ़, उ.प्र.)

अध्यक्षता - श्री उदयप्रताप सिंह

स्थान - सुंदरपुर, विजौली, इटावा (उ.प्र.)

तुम्हारे वतन में लहू बह रहा है, हमारे लहू में वतन बह रहा है... शिवम् आज़ाद

गैल गिरारे ऊही पुराने, पहलें जैसी बात रही ना.... विट्ठल पारीक

शब्दम् ग्रामीण कवि सम्मेलन सुंदरपुर विजौली इटावा (उ.प्र.) में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उ.प्र. हिंन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह ने काव्यपाठ करते हुए कहा कि ‘आजादी का सूरज चमका शहर के आकाश में, गाॅव पड़े हैं अभी गुलामी के इतिहास में, फूल कली ने जहर खा लिया तंग होकर मंहगाई से........’ कविताओं के साथ-साथ उन्होंने ग्रामीणों को सम्बोधन करते हुए कहा कि शब्दम् एक ऐसी संस्था जो निस्वार्थ भाव से जनसेवा का कार्य कर रही है। कवि विट्ठल पारीक’ रविन्द्र ‘रवि’ एवं शिवम् कुमार आजाद ने अपनी काव्य रचनाओं से ग्रीमीणजनों को मंत्रमुग्ध किया। संचालन डाॅ. धुर्वेन्द्र भदौरिया ने किया।

फोटो परिचय-

ग्रामीण कवि सम्मेलन का एक दृश्य।

कवि विट्ठल पारीक।

कवि शिवम आजाद।

कवि रविन्द्र रवि।

एवं 358 - जेठ की दोपहरी में प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच कविता का आनंद लेते श्रोतागण।

समूह छायांकन।

श्री बिट्ठल पारीक परिचय

दिनांक 10 अक्टूबर 1953 को भरतपुर राजस्थान में जन्में हिन्दी साहित्य से परास्नातक उपाधि प्राप्त हैं। ब्रज भाषा में आपको विशेष दक्षता प्राप्त है। आप अखिल भारतीय साहित्य परिषद के साहित्य सचिव के अतिरिक्त अनेक साहित्यिक संस्थाओं के विवधि पदों को सुशोभित कर चुके हैं। देश की अनेक साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में आपके आलेख एवं शोध प्रबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं।

देश के अतिरिक्त] अन्य अनेक देशों की आप साहित्यिक यात्रा कर चुके हैं। आपकी कविताओं के अनेक संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें ब्रजभाषा भी सम्मिलित है। दूर दर्शन एवं आकाशवाणी के अनेक केन्द्रों से आपकी कविताएं एवं वार्ताएँ आदि प्रसारित हो चुकी हैं। राजस्थान की अनेक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा भी आप सम्मानित एवं पुरस्कृत हो चुके हैं। साहित्य के अतिरिक्त आप समाज सेवा और सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में भी भ्रमण करते रहते हैं। शब्दम् संस्था आपके स्वस्थ] दीर्घायु और उज्जलव भविष्य की कामना करती है।

कोऊ न ऊँचै नीचै

कैसी मारी रंग पिचकारी] साजन कैसी रंग पिचकारी] तन भीजौ मन प्यासौ रह गयौ] भलैं भीज गई सारी।। मन के या मन्दिर में बैठी] सूनी खण्डित मूरत] अहंकार के दीप जरे हैं] बुझी-बुझी सी सूरत। नफरत की साँसन सों पुरि रये कोठे और तिवारी।। साजन कैसी रंग पिचकारी।। भोर बनी भय निशा नशीली] गैल-गैल लाचारी] सँझ सोच भई मलिन विकासी] थकि हारे व्यौपारी। निर्धन देश चाँदनी बिखरी] जागे सवई जुआरी।। साजन कैसी रंग पिचकारी।। गूँज रयौ है प्रश्न मनन में] कैसें गीत सुहावें] कौन बँधावै धीर जनजनि कूं उरझन कू सुरझावें। ऐसौ करो उपेजौ साजन] खुल जाय प्रीत किवारी।। साजन कैसी रंग पिचकारी।। मैं तुम वो सब एक बात है] कोऊ न ऊँचै नीचै देखौ नाव ना डूबै अपनी दोऊ हाथ उलीचै। राष्ट्र एकता प्रेम (धर्म] भाव की भर लेऔ रंग पिचकारी।। साजन ऐसी होय पिचकारी-साजन एैसी रंग पिचकारी।। हमहू भीजें तुमहू भीजौ] भीजै दुनिया सारी साजन एैसी रंग पिचकारी।

श्री शिवम् कुमार आज़ाद परिचय

आज के मंच के सबसे युवा कवि श्री शिवम् कुमार ‘आज़ाद’ अपनी इसी आयु में अखिल भारतीय स्तर के कवि बन गए हैं। जबकि काव्य मंचों से जुड़े लगभग पाँच वर्ष ही हुए हैं। हमें आपकी कम आयु पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए] क्यों अंग्रेजी के शैली और कीट्स जैसे कवि और भारत की तोरूदत्त 30 वर्ष की आयु में भी ही महाकवि/कवयित्री बन गये। आपकी कविताओं में कई विधाएँ शामिल हैं जैसे गीत] गज़ल] मुक्तक] दोहा कवित्त छंद इत्यादि।

इस अल्पायु में भी आप दूर-दर्शन और आकाशवाणी के विभिन्न चैनलों और केन्द्रों से काव्यपाठ कर चुके हैं। आपको विमल ‘ओज’] ‘विद्या सागर दद्दा स्मृति’] ‘गज़लश्री’] ‘रसिक साहित्य’] नोहर पत्रिका सम्मान राजस्थान आदि सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

शब्दम् संस्था आपके स्वस्थ] दीर्घायु और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।

गीत-1

हमारा बदल गया है गांव हमारा बदल गया है गांव नदिया पर पुल बंधा हुई चैड़ी मन की खायी । अब पगडंडी नहीं सड़क चैपाल तलक आयी ।। जहाँ पंच परमेश्वर का होता था पावन ठांव, हमारा------- संसद से ले सीख गांव में पक्ष विपक्ष हुए । अपनी अपनी चालबाजियों में सब दक्ष हुए ।। कटे नेह के पेड़ मिट गयी अपने पन की छांव, हमारा-------- अब न रहे वो गीत प्रीत के अब ना हंसी ठिठोली । अब न रहे वो खेल ढूंढना छुपना आँख मिचोली ।। अब न रहे वो पनघट गगरी अरु पीपल की छांव, हमारा------- सावन आकर चला गया किसने मल्हार गायी । होली भी ऐसे आयी जैसे कि नहीं आयी ।। अहंकार में कोई छूता नहीं किसी के पांव, हमारा------

गज़ल-

मुद्दा है ये जेरे बहस आजकल सितारों में । खोजने पे मिलता नहीं आदमी हजारो में ।। जिसके प्यार की दुनिया चांदनी ने लूटी हो] शख़्स वो करे तो क्या करे बैठकर बहारों में ।। उनसे भी हसीं उनके वायदे थे मिलने के] जिंदगी फना करदी हमने इंतजारों में ।। जिसको इश्क हो जाए उसको लफ्ज बेमानी] पुर बयान होती है ये जुबां इशारों में ।। दर्द ही तो दौलत है इश्क़ की छुपा लो इसे] किस लिए दिखाते हो जख्मे दिल बजारों मे ।। साहिलों की धमकी से हम कभी नहीं डरते] कश्तियाँ चलाते हैं अपनी तेज धारों में ।। शिवम् जिसका नामो पता तुमने अपने दिल पे लिखा] उसने नाम लिखवा दिया तेरा गम के मारों में ।।

श्री रवीन्द्र रवि परिचय

ग्वालियर से पधारे कवि रवीन्द्र ‘रवि’ अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में तो काव्यपाठ करते ही हैं] आप भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम डा- शंकर दयाल शर्मा के समक्ष राष्ट्रपति भवन में भी काव्य पाठ कर चुके हैं।

आप की कविताओं के प्रसारण जीटीवी- न्यूज नेशन और आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से होते रहते हैं। देश की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिकाओं में एवं समाचार पत्रों में नियमित रूप से आप की कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं। आप गीत] गजल] मुक्तक आदि विधाओं में रचना करते हैं। आपको समय समय पर कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आप सिंगापुर की साहित्यिक यात्रा भी कर चुके हैं। शब्दम् संस्था आपके स्वस्थ] दीर्घायु और आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती है।

कविता-1

तेरी खातिर कोई आँसू बहाना याद तो रक्खे, तेरा लिक्खा हुआ कोई तराना याद तो रक्खे] भले थोड़े सही लेकिन तू अपने काम ऐसे रख] कि तेरे बाद भी तुझको जमाना याद तो रक्खे ।

कविता-2

बहारें लाख हों पर पतझड़ों को भूल मत जाना] बुलंदी पाके तू अपनी जड़ों को भूल मत जाना] दुआ करते हैं ये अक्सर तुम्हारी कामयाबी की] कभी भी भूल कर अपने बड़ों को भूल मत जाना।

 

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