कार्यक्रम- प्रेरणास्रोत, जानकी देवी बजाज जयन्ती समारोह

दिनांक- 7 जनवरी 2016

स्थान- हिन्द लैम्प्स परिसर, संस्कृति भवन

‘‘एक ज़िन्दा क्रांति थीं -श्रीमती जानकी देवी बजाज’’।

आज से 100 वर्ष पूर्व जब समाज रूढ़िवादिता से जकड़ा हुआ था, तब एक महिला का चेहरे से पर्दा उठाना, एक महान क्रांति की बात थी। जब समाज जातिवाद की कुरीतियों में लिप्त था, तब एक महिला का वर्धा मंदिर में दलितों के प्रवेश के लिए आवाज़ उठाना एक और महान क्रांति की बात थी। जिस समाज में स्वर्णाभूषण लक्ष्मी या सम्पन्नता का प्रतीक माने जाते थे, तब एक महिला का देश के लिए स्वर्णाभूषणों का त्याग, एक महान क्रांति ही तो थी। जिस समाज में महिलाएँ घर में भी सीमित दायरों में रहती थीं, तब एक महिला का घर-घर जाकर देश हित में चरखा सिखाना एक महान क्रांति थी। जिस समाज में मृत्यु के पश्चात् अस्थियों का गंगा में विसर्जन करना आत्मा की मुक्ति का मार्ग माना जाता था, तब एक महिला का जल प्रदूषण को रोकने के लिए अस्थियों को किसी वृक्ष के नीचे मिट्टी में मिला देना एक महान क्रांति की ही द्योतक था ।

उपर्युक्त विचारों को जब सभागार में मुख्यवक्ता श्री मंज़र-उल वासै एवं श्री एस.के. शर्मा द्वारा रखा गया तो उपस्थित कई लोग, यह सोचने को विवश थे कि आखिर इतिहास ने जानकी देवी बजाज को अपने पन्नों में जगह क्यों नहीं दी।

कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘‘ओम् नमो नारायणा’’ एवं ‘‘पायो जी मैंने राम-रतन धन पायो’’ भजन के साथ हुआ जिससे सभागार पूरी तरह जानकी देवी बजाज के भक्तिरस में डूब गया। तदुपरान्त जानकी देवी बजाज का जीवन परिचय सुश्री रेखा शर्मा ने प्रस्तुत किया। जानकी देवी बजाज के जीवन पर आधारित दृश्य-श्रव्य दिखाया गया, जो सभागार में उपस्थित समूह को जानकी देवी बजाज के जीवन से जोड़ने में कारगर रहा।

मुख्य वक्ता श्री मंज़र-उल वासै ने जानकी देवी बजाज के जीवन के गौ सेवा एवं समाज सेवा पक्ष को रखते हुए बताया कि जानकी देवी बजाज आजीवन गौ सेवा संघ की अध्यक्ष रहीं। उन्होंने एक प्रसंग का ज़िक्र करते हुए बताया कि जब जानकी देवी महज़ चार वर्ष की थीं उन्हें चेचक निकली, उस समय की मान्यता अनुसार उन्हें एक ऐसी जगह रखा गया जहाँ गाय बँधा करती थी और वहीं गोबर एवं मूत्र का विसर्जन करती थी, कहा जाता है कि गाय के गोबर और मूत्र की मिश्रित गंध से ऐसा वातावरण तैयार होता है जिससे चेचक जैसी बीमारी दूर हो जाती है और ऐसा हुआ भी। श्रीमती जानकी देवी बजाज का गौ प्रेम तभी से जागृत हुआ।

श्री एस.के. शर्मा ने जानकी देवी बजाज के राष्ट्रीयता के पक्ष को रखते हुए बताया कि जानकी देवी बजाज के जीवन का हर दिन, राष्ट्र प्रेम की कहानी कहता है। जानकी देवी बजाज के जीवन पर गांधी जी, विनोबा जी और जमनालाल बजाज जी का प्रभाव पडा। जब बात विदेशी कपड़ों के बहिष्कार की आयी तो जानकी जी ने आगे बढ़ते हुए न सिर्फ़ अपने घर के सभी विदेशी वस्त्रों की होली जलाई बल्कि अन्य लोगों को भी विदेशी वस्त्र त्यागने के लिए प्रेरित किया ।

कार्यक्रम अध्यक्ष श्री उमाशंकर शर्मा ने सभा में उपस्थित युवा वर्ग से कहा कि जानकी देवी बजाज का पूरा जीवन तपस्या, नियम का रहा है यदि उनको समझकर उनके कुछ गुण या कम से कम एक गुण भी अपनाया तो यह आज के कार्यक्रम की सफलता होगी और हमारी उस महान देवी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

फोटो परिचय-

सभागार में उपस्थित जन समूह

मुख्य वक्ता ‘श्री मंजर-उल-वासै’

मुख्य वक्ता ‘श्री श्याम कृष्ण शर्मा’

समूह छायांकन

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