‘लघुकथा पाठ’

कार्यक्रम- लघुकथा पाठ

दिनांक- 29 जनवरी 2019

स्थान- संस्कृति भवन, भवन हिन्दलैम्प्स परिसर, शिकोहाबाद।

लघुकथाकार- श्रीमती पूनम भार्गव, श्रीमती रितु गोयल एवं श्री अरविन्द तिवारी

विशिष्ट अतिथि- शडाॅ. अनिल उपाध्याय

अध्यक्षता- श्री उमाशंकर शर्मा

शब्दम् ने हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं के रचना पाठ का क्रम शुरू किया है कि ताकि शिकोहाबाद के हिन्दी प्रेमी इन विधाओं से रूबरू हो सकें।

अतिथियों और शब्दम् सलाहकार समिति के सदस्यों का स्वागत हरित कलश से किया गया। अरिविन्द तिवारी ने लघुकथाकारों और विशिष्ट अतिथि का परिचय पढ़कर सुनाया। आगरा से आए तीनों अतिथियों को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। शब्दम् सलाहकार समिति के वरिष्ठ सदस्य उमाशंकर शर्मा की अध्यक्षता में शुरू हुए कार्यक्रम में श्री मंजर-उल वासै ने शब्दम् का परिचय पढ़ा तत्पश्चात् अरविन्द तिवारी ने विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा लघुकथा, कथा साहित्य का ही रूप है जो इन दिनों बेहद लोकप्रिय हो रहा है। उपन्यास को खुली आखों से वर्णन करने वाला आख्यान कहा जाता है। जबकि कहानी दूरबीन से देखी गई विशिष्ट घटना है। इस मायने में लधुकथा ‘माइक्रोस्कोप’ से जीवन की बारीकियों को पकड़ती हैं। डाॅ. महेश आलोक ने बताया कि आजकल ट्यूटर पर 60 शब्दों की लघुकथाएँ लिखी जा रही हैं। आगरा लधुकथाकार ऋतु गोयल ने सम्मान, दायित्व और गिद्ध शीर्षक से तीन लघुकथाओं का पाठ प्रस्तुत किया। ‘दायित्व’ रिश्वतखोरी पर आधारित लघुकथा श्रोताओं को बहुत पसन्द आयी। ‘सम्मान’ लधुकथा स्त्री जीवन की त्रासदी का बखान करती है, जिसमें तमाम सम्मान प्राप्त करने के बाद भी स्त्री की पहली चिंता खाना बनाने की है। गिद्ध लघु कथा यह साबित करती है कि मनुष्य अपने फायदे के लिए कितना गिर सकता है।

श्रीमती पूनम भार्गव की लघुकथा ‘‘संतुलन असंतुलित न हो जाए’’ श्रोताओं ने बेहद पसंद की। यह लघुकथा जेण्डर विभेद पर आधारित है। ‘सूखी आंखों का विलाप’ लघुकथा में पति की मृत्यु पर पत्नी इसलिए ज्यादा दुःखी नहीं होती क्योंकि उसे एक बड़ी राशि मिल रही है। जीवन की इस विसंगति को कथाकार ने बारीकी से उकेरा है। अरविन्द तिवारी ने ‘अपने पराए’ लघुकथा में भारतीय समाज की रूढ़ियों को उकेरा है। उनकी लघुकथा ‘‘बेटे आप बूढ़े नहीं होंगे’’ बेहद सराही गई।

विशिष्ट अतिथि आगरा में प्रधानाचार्य डा. अनिल उपाध्याय ने लघुकथा की विशेषताओं को रेखांकित किया और शब्दम का आभार व्यक्त किया।

श्रोताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने साबित कर दिया कि लोगों में लघुकथा पाठ सुनने की उत्सुकता है। अध्यक्षीय सम्बोधन में श्री उमाशंकर शर्मा ने इस कार्यक्रम की सफलता के लिए शब्दम् की टीम और अतिथि लघुकथाकारों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. महेश आलोक ने किया।

फोटो परिचय

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