सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र

‘‘यदि आज की नारी को पुरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है तो सर्वप्रथम उसे स्वावलम्बी बनना होगा। इस माध्यम से उनमें आत्म विश्वास पैदा होगा जिससे वह न सिर्फ अपनी मदद कर पाएंगी] बल्कि अपने आस-पास के स्थानों पर योगदान देकर राष्ट्र निर्माण में भी अपनी भूमिका तय कर पाएंगी’’।

शब्दम् सिलाई केन्द्र उपरोक्त शब्दों को अपना मूलभाव बनाकर शिकोहाबाद के हिन्द परिसर में व ठेठ ग्रामीण अंचल के ग्राम हरगनपुर में अपना प्रशिक्षण केन्द्र चला रहा है।

लगभग पिछले एक दशक से शब्दम् सिलाई केन्द्र लगभग 1000 बालिकाओं@महिलाओं को सिलाई कला में निपुण बनाकर स्वावलम्बी बना चुका है। वर्तमान सत्र में बालिका@महिलाओं के अति उत्साह को देखते हुए हिन्द परिसर स्थित प्रशिक्षण केन्द्र का सांय कालीन सत्र भी प्रारम्भ किया गया।

इस वर्ष शब्दम् प्रशासन ने कुछ पुराने प्रशिक्षणार्थियों से सम्पर्क किया तथा उनमें से कुछ महिलाएं अपनी सिलाई कला के माध्यम से न सिर्फ अपना जीविका पालन कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं को भी सिलाई कला सिखाने का प्रयास कर रही हैं। इसप्रकार शब्दम् एक से दूसरा और दूसरे से तीसरा दीपक जलाने के उद्देश्य में सफल रहा है तथा इस तरह के परिणाम शब्दम् को इस तरह की परियोजना और गम्भीरता से चलाने के लिए पे्रेरित कर रहे हैं।

हिन्द परिसर स्थित सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुई बालिकाएं।

ग्राम हरगनपुर स्थित सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुई बालिकाएं।

ग्रामीण सिलाई केन्द्र पर प्रशिक्षणार्थी के साथ शब्दम् पदाधिकारी।

shabdam hindi prose poetry dance and art

previous topic next article