ताज साहित्योत्सव में सूरदास पर परिचर्चा एवं पद गायन

शब्दम् संस्था द्वारा ब्रजभाषा काव्य को प्रोत्साहित करने के क्रम में ताज साहित्योत्सव के अंतर्गत सूरदास पर केन्द्रित सत्र के आयोजन में सह प्रायोजक के रूप में भाग लिया गया। यह आयोजन 13 दिसंबर 2013 को आगरा के होटल क्लार्कशीराज संपन्न हुआ।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. मैनेजर पांडे ने सूरकाव्य की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सूर काव्य के वात्सल्य वर्णन से बच्चों के प्रति समाज में नई दृष्टि का बोध जागृत किया जा सकता है। आज के समाज में बच्चों की स्थिति दयनीय है। बच्चों को अपंग बनाकर भीख मंगवाने की वीभत्स कार्य हमारे यहां होता है। अतीत में बचपन का सौंदर्य और उसके प्रति क्या दृष्टि थी, सूरदास का काव्य इसका उदाहरण है। ‘‘घुटुरन चलत रेनुतन मंडित मुख दधिलेप किये’’ आदि सूर के पदों का उदाहरण देकर प्रो. पांडे ने कहा बचपन की मनुष्यता का इतना बड़ा कवि अन्य कोई नहीं है।

सूरदास के काव्य को प्रो. पांडे ने मूलतः स्त्रीप्रधान काव्य कहा। उन्होंने कहा, उनके काव्य में यशोदा, राधा और गोपी आदि स्त्रियों की सशक्त उपस्थिति भारत में नारी और प्रेम की स्वतंत्रता को सिद्ध करती है। सूर काव्य बताता है कि यह वही क्षेत्र है जहां प्रेम का महान काव्य रचा गया। अब ये क्षेत्र प्रेम की हत्या का क्षेत्र बन गया। इस क्षेत्र में अगर किसी प्रेमी की हत्या की जाती है तो वह सूरदास की हत्या है, कृष्ण की हत्या है। कृष्ण ने प्रेम जाति और आयु की सीमाओं से परे जाकर प्रेम का पवित्र उदाहरण प्रस्तुत किया था।

प्रो. पांडे ने ‘सूर मूर अक्रूर लै गये’ और ‘हरिहै राजनीति पढि आये’ जैसी कुछ पंक्तियों को उद्धृत कर बीते वक्त की राजनीतिक और सामाजिक विडंबनाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि समाज और राजनीति में विकृतियां पहले भी रही हैं परंतु शासन के विवेक और दूरदृष्टि ने उनको विद्रूप होने से रोका है।

प्रो. मैनेजर पांडे ने बताया कि काव्य को जन-जन के बीच पहुंचाने के लिए संगीत के साथ जुगलबंदी अनिवार्य है। भक्त कवि इसीलिए कालजयी हैं कि उन्होंने पदों की रचना ही नहीं की, उन्हें गाया भी।

शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने सूरदास के वात्सल्य वर्णन को संसार का श्रेष्ठतम साहित्य बताया। उन्होंने निवेदन किया कि देश और संस्कृति के लिए निस्वार्थ भाव से समन्वय किए जाएं। सच्चे अर्थों में संस्कृति संवर्धन के प्रयास तभी सार्थक हो सकेंगे। श्रीमती बजाज ने कहा, मेरा मानना है कि समान विचारों की अनेक छोटी-छोटी किरणों से मिल कर जब तक एक प्रकाशपुंज नहीं बनाया जाएगा तब तक भाषा और संस्कृति के विकास का अपेक्षित लक्ष्य नहीं हासिल किया जा सकता। एक मन और एक विचार के लोगों के मिल कर काम करना ही होगा।

सूरदास के जीवन पर एक वृत्तचित्र का प्रदर्शन एवं प्रसि़द्ध गायक हरिबाबू कौशिक द्वारा पदगायन भी प्रस्तुत किया गया।

आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार प्रयाग शुक्ल भी उपस्थित रहे। समारोह के आयोजक हरविजय वाइया, अशोक जैन सी.ए., अनिल शुक्ल एवं आर.एम. कपूर ने स्वागत किया। शब्दम की ओर से श्री अंशुमान बावरी सलाहकार अरविंद तिवारी एवं डा. महेश आलोक भी उपस्थित रहे।

ताज साहित्योत्सव में सूरदास के काव्य पर परिचर्चा करते हुए प्रो. मैनेजर पांडे एव रामेन्द्र मोहन त्रिपाठी।

ताज साहित्योत्सव में प्रो. मैनेजर पांडे, रामेंद्र मोहन त्रिपाठी एवं किरण बजाज का स्वागत करते हुए श्री अशोक जैन।


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