ग्यारहवां स्थापना दिवस समारोह

संस्कृत के वि़द्वान शिक्षकों का सम्मान

कार्यक्रम का विषयः - शिक्षक दिवस एवं ‘‘शिक्षक मूलतः चरित्र निर्माता है” विषय पर संगोष्ठी

दिनांक : 17 नवंबर

संयोजन: शब्दम्

स्थान- संस्कृति भवन, हिन्द लैम्प्स परिसर, शिकोहाबाद

हिन्दी सेवी सम्मान- श्री उदयप्रताप सिंह

शब्दम् द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में ब्रजभूमि वृंदावन में विशिष्ट शिक्षक सम्मान समारोह मनाया गया समारोह के अंतर्गत ‘शिक्षक मूलतः चरित्र निर्माता है’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

शब्दम् ने अपने ग्यारहवें स्थापना दिवस पर उ-प्र- हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदयप्रताप सिंह को ‘हिन्दी सेवी सम्मान-2015’ से सम्मानित करते हुए सम्मान पत्र] अंगवस्त्रम् श्रीफल एवं सम्मान राशि प्रदान की।

श्री उयप्रताप सिंह ने साहित्य प्रेमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज संकीर्णता को छोड़कर हिन्दी व उर्दू को एक भाषा मानकर अपनाना होगा। यह दोनों साथ&साथ पली हैं । मातृभाषा में काम करते हुए भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए भारतीय जीवनशैली को अपनाना होगा। अंग्रेजी पब्लिक स्कूल एवं अंग्रेजियत को महत्व दिए जाने से कई विद्रूपताएं समाज में देखने को मिल रही हैं। उ-प्र- हिंदी संस्थान साहित्यकारों के सम्मान एवं मदद का कार्य कर रहा है। पब्लिक स्कूलों की फीस एवं अंगे्रजी जीवनशैली पर तीखा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि हम झोपड़ी वाले स्कूल में इकन्नी की फीस पर पढ़े हैं। विदेश भ्रमण के दौरान कहीं बच्चों को टाई बांधे नहीं देखा है] लेकिन गली-मुहल्लों में खुले स्कूल टाई पहना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि संविधान में राजनैतिक] आर्थिक एवं सामाजिक न्याय देने की बात लिखी गयी है] लेकिन आज भी 15 फीसदी अंग्रेजी जानने वाले लोग सरकारी नौकरी में काबिज हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के चलते सभी अदालतों में न्याय अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। भारतीय पासपोर्ट एवं वीजा भी अंग्रेजी में लिखा जाता है] जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं बजाज इलेक्ट्रीकल्स के चेयरमेन श्री शेखर बजाज ने कहा कि हमारी कंपन्नी की बेलेंसशीट का काम हिन्दी एवं अंग्रेजी, दोनों भाषा में किया जाता है। हिन्दी की प्रगति के लिए औधोगिक घरानों के साथ&साथ स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना होगा। इस सम्बन्ध में किए सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने मुम्बई से भेजे अपने संदेश में कहा कि हमें हिन्दी को रोजगार से जोड़ना होगा और रोजगार से जुड़े ज्ञान को हिन्दी में मुहैया कराना होगा] जिससे हिन्दी का प्रचार स्वतः ही होगा। विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की अच्छी पुस्तकें और अच्छे अध्यापक उपलब्ध कराने होंगे।

शब्दम् समन्वयक ने ग्यारहवें स्थापना दिवस पर समारोह में उपस्थित विद्वत्जनों को ^शब्दम् एक यात्रा-2004-2015’ पावर पोइन्ट प्रजेंटेशन दिया* जिसमें शब्दम् द्वारा संचालित सभी गतिविधियों के बारे में बताया गया।

प्रो. नन्दलाल पाठक ने अपने संदेश में कहा ‘‘भाषा का प्रयोग सब करते हैं] भाषा पर ध्यान कोई नहीं देता। हिन्दी का एक स्वाभाविक रूप] नदी में किसी टुकड़े के ‘बहने’ का हो सकता है] इस बहने को तैरते में बदलने के लिए सरकारी प्रयास जरूरी होगा।”

श्री मुकुल उपाध्याय ने अपने संदेश में कहा ‘‘शब्दम् उन गिनी चुनी संस्थाओं में से है, जो स्वप्रचार से परे] हिन्दी भाषा व साहित्य के प्रसार-प्रचार में सतत योगदान दे रही है।’

कार्यक्रम का संचालन डॉ. महेश आलोक ने बड़े रोचक ढंग से किया। शब्दम् की ओर से धन्यवाद डॉ. ध्रुवेन्द्र भदौरिया ने दिया। कार्यक्रम में डॉ. ए-के- आहूजा] मंजर उलवासै] अरविन्द तिवारी] डा- रजनी यादव] सुकेश यादव] डॉ. बाई-सी- पालीवाल ने उपस्थित होकर अपनी-अपनी सहभागिता दी।

फोटो परिचय-

वृक्षारोपण करते श्री उदयप्रताप सिंह एवं श्री शेखर बजाज।

वृक्षारोपण के पश्चात् समूह छायांकन।

सम्मान पत्र के साथ श्री उदयप्रताप सिंह।

सभा को सम्बोधित करते श्री उदयप्रताप सिंह।

सभा को सम्बोधित करते श्री शेखर बजाज।

कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य।

समूह छायांकन।

श्री उदयप्रताप सिंह का परिचय

वर्तमान में उ.प्र- हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष। सुप्रसिद्ध कवि, लेखक] लोकसभा] राज्यसभा एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य। सांसद के रूप में भारत सरकार की विभिन्न राजभाषा समितियों के सदस्य। 1993 में तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारतीय दल के अध्यक्ष तथा ‘पेरामारीबू’विश्वविद्यालय द्वारा आचार्य की मानद उपाधि। आगरा विश्वविद्यालय से एलुमिनियाई पुरस्कार एवं अक् जागृत मतदाता मंच, बनारस द्वारा राजनैतिक एवं नागरिक जीवन में शुचिता के लिए पुरस्कार] शिवमंगल सिंह सुमन] ब्रजविभूषण] शायरे इमजहती आदि पुरस्कारों से सम्मानित। उ.प्र- सरकार के प्रतिष्ठित सम्मान ‘यश भारती’ एवं ‘साहित्य शिरोमणी’ से सम्मानित। विश्व के 18 देशों में हिन्दी का प्रचार&प्रसार।

राष्ट्रीय विचारधारा के उद्घोषक कवि। भाषा] कथन और शैली विचारपरक एवं बोलचाल तथा अपनापन लिए हुये हिन्दी ग़ज़ल के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर।

प्रवक्ता एवं प्राचार्य के पद पर कार्य करते हुए एक आदर्श शिक्षक के रूप में ख्याति । छात्रों में नैतिक मूल्यों का संवर्धन एवं अनुशासनप्रियता का संचालन। स्वभाव मधुर एवं आकर्षक। राजनीति के क्षेत्र में दलगत सीमाओं को तोड़कर प्रत्येक दल के राजनेता व्यक्तिगत स्तर पर इनके प्रशंसक एवं मित्र हैं।

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