ओडिसी नृत्यांगना गीतांजली आचार्य की प्रस्तुति

कार्यक्रम : ओडिसी नृत्य प्रदर्शन एवं कार्यशाला

दिनांक : 10 अगस्त से 12 अगस्त 2015

स्थान : कोसी, छाता, वृदावन, गोवर्धन, बरसाना एवं राधारानी दरबार

आमंत्रित कलाकार : श्रीमती गीताजंली आचार्य एवं सहयोगी तपन

संयोजन : स्पिक मैके शिकोहाबाद चेप्टर एवं शब्दम्

कृष्ण की बाल लीलाओं के साक्ष्य को अपनी गोद में संजोकर बृज क्षेत्र के 7 महाविद्यालयों/विद्यालयों में भारत की ओडिसी नृत्य की एक पारंगत नृत्यागंना गीताजंली आचार्य द्वारा ओडशी नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

शब्दम् एवं स्पिक मैके चेप्टर शिकोहाबाद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वर्ष के दूसरे चरण में दिनांक 10 अगस्त से 12 अगस्त 2015 तक ब्रज क्षेत्र में कोसी के सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज, नगर पालिका बालिका इण्टर कालेज, छाता के श्री जी इण्टरनेशनल स्कूल, वृंदावन के हजारीमलण सोमाणी नगर पालिका इण्टर कालेज, हनुमान प्रसाद धानुका बालिका सरस्वती विद्या मन्दिर, दानघाटी, गोवर्धन स्थित श्री मुरारा कुंज सरस्वती विद्या मन्दिर, बरसाना के राधा बिहारी इण्टर कालेज एवं राधा रानी मंदिर के प्रागंण में ओडिशी नृत्यांगना गीताजंली आचार्य ने स्कूल बच्चों के मध्य नृत्य की विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन एवं कार्यशाला का आयोजन किया।

उपरोक्त सभी विद्यालयों में आयोजित ओडिसी नृत्य प्रदर्शन कार्यशाला में सभी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को मंच पर बुलाकर गीताजंली आचार्य ने ओडिसी नृत्य की बारीकियों का अभ्यास कराया। जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक अपनी प्रतिभागिता दी।

गीताजंली आचार्य ने गोवर्धन, कालिया दहन, विश्व रूप दर्शन और पूतना वध आदि विद्याओं का छात्र-छात्राओं के मध्य प्रस्तुत कर, शास्त्रीय नृत्य के प्रति उनके ज्ञान में वृद्धि करने का प्रयास किया। गीताजंली आचार्य ने नृत्य के साथ-साथ विद्यार्थियों के साथ संवाद भी किया एवं अपनी प्रस्तुतियों की भाव भंगिमाओं के बारे में बताया तथा प्रश्न भी पूछे। साथ ही गीतांजली आचार्य द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली भंगिमाओं को छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत कर स्वयं को प्रदर्शित किया।

श्रीजी मंदिर के प्रागंण बरसाने में राधारानी के समक्ष सांयकालीन बेला में गीताजंली आचार्य द्वारा ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी जिसमें विशेषकर कृष्ण, सावन के झूले आदि से सम्बन्धित नृत्य ने ग्रामीणजन, महिलाएं, बालिकाएं, भक्तगण एवं सन्त महात्मा आदि नृत्य की बारीकियों को देखकर आनंदित हो गए। श्रीजी मन्दिर में ओड़सी नृत्य का पहला अभूतपूर्व सांस्कृतिक कार्यक्रम दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर गया।

सभी विद्यालयों, मीडिया कर्मियों, नगर गणमान्यों एवं सन्त महात्माओं ने इस शास्त्रीय विधा को जन-जन तक पहुंचाने एवं युवा पीढ़ी को इससे जोड़ने एवं जागरूक करने के लिए इस तरह के आयोजन की बहुत सराहना की। उन्होंने कहा कि निश्चित ही इस ओडसी नृत्य प्रदर्शन कार्यशाला के आयोजन से विभिन्न विद्यालय के छात्र-छात्राएं जो कि अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, उनमें अपनी भारतीय संस्कृति को समझने और उसको सीखने के लिए ललक पैदा होगी।

इस ओडिसी नृत्य शास्त्रीय विधा से ब्रज क्षेत्र के लगभग 10,000 लोग लाभान्वित हुए।

गीतांजली आचार्य का परिचय

गीतांजली आचार्य, अपनी मेहनत प्रतिभा और आत्मविश्वास के फलस्वरूप भारत की ओडिसी नृत्य की एक पारंगत कलाकार एवं नृत्य निर्देशिका हैं। गीतांजलि आचार्य, भारती के ओडिसी नृत्य के प्रख्यात गुरू पं. केलूचरण महापात्र और रतिकांत महापात्र की शिष्या हैं। गीताजंली, ओडिसा संगीत नाटक अकादमी से नृत्य शास़्त्र का प्रशिक्षण एवं शिक्षण पूर्ण किया है।

गीतांजली आचार्य को देश-विदेश से कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें देश के विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों में नृत्य प्रदर्शन का सौभाग्य मिला है। एक उत्तम गुरू के रूप में उन्होंने बहुत से शिष्य-शिष्याओं को ओडिसी में प्रशिक्षित किया है एवं उनका यह कार्य निरन्तर जारी है।

गीताजंली आचार्य को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से ओडिसी नृत्य के लिए नेशनल छात्रवृति भी मिली है।

नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति एक।

नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दो।

मंत्रमुग्ध होकर नृत्य को देखते छात्र-छात्राएँ।

नृत्य की बारीकियां समझतीं छात्राएँ।

नृत्य कार्यशाला में छात्राओं की सहभागिता।

नृत्य कार्यशाला में नृत्यागंना के साथ ताल से ताल मिलाती छात्राएँ।

नृत्य का डिमोस्ट्रेशन देते नृत्यांगना एवं साथी कलाकर।

छात्राओं को नृत्य के गुर सिखातीं गीताजंली आचार्य।

श्रीजी मंदिर के प्रागंण में प्रस्तुति देतीं गीताजंली आचार्य।

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