कार्यक्रम- कवयित्री सम्मेलन
दिनांक : 6 मार्च 2016
स्थान : हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित संस्कृति भवन
आमंत्रित कवयित्री : डा. रूचि चतुर्वेदी | डा. ज्योत्सना शर्मा | डा, सुशीला शील’
बेटियां चिट्ठियां है, जो दिलों को जोड देती हैं,
ये तनी मुट्ठियां है, जो प्रलय को मोड देती हैं।
बेटिया बज्र भी और करूणा की कहानी भी,
शिलाओं पर अमिट इतिहास लिखकर छोड देती हैं।।.... डॉ. सुशीला 'शील’
महिला दिवस से प्रेरित, शब्दम् कवयित्री सम्मेलन में जब उपरोक्त रचना ने बेटियों की आकृति को रेखाकिंत किया तो सभागार में उपस्थित चेहरे प्रश्नवाचक मौन की स्थिति में थे।
कार्यक्रम में नया प्रयोग करते हुए, मंच पर एक तरफ सुप्रसिद्ध मंचीय कवयित्रियाँ डॉ. सुशीला शील, डॉ. ज्योत्सना शर्मा, डॉ. रूचि चतुर्वेदी को आमंत्रित किया, वहीं विद्यालयों की वह छात्राएँ जिनमें कविता का अंकुर प्रस्फुटित हो रहा है, को भी जगह दी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में भगवती देवी कन्या नगरपालिका महाविद्यालय की छात्रा शारदा द्विवेदी ने अपनी रचना ''बेटा नहीं हूँ, मैं बेटी हूँ, इस कारण यूं न सताओं मुझको, क्या गलती है मेरी बताओ मुझको, यूं कोख में मार न जाओ मुझकों।
छात्रा देविका जौहरी ने '' मेरा हक न छीनो मेरी भइया, तो क्या हुआ, मैं नहीं कन्हैया, है बस यही अर्ज मेरी तुमसे, जीने दो मुझको मारो न मइया।" छात्रा प्रिया शर्मा ने ''हर एक सांस की होती है कीमत, तेरा जीवन किसी पर बोझ नहीं है, गैरों के डर से मरना क्या सही है, क्यों नारी के जीवन की सदा अग्नि परीक्षा रही है। आदर्श कृष्ण महाविद्यालय की छात्रा हर्षिता गुप्ता ने ''दुनियां के बाणों से बचते चलो, जीवन की राहो पर हसते चलो, यहीं पे जिंदा दिली की जरूरत, हसते चलो तुम हसाते चलो।" प्रस्तुत की।
जयपुर से आयीं डॉ. सुशीला शील अपनी रचना ''प्यार की प्यास तो प्यार से ही बुझे, चाहे वो मुझको लगे, या लगे वो तुझे। मैं नदी हूँ शिखर से उतर आयीं हूँ बन समन्दर गले से लगा ले मुझे...."काव्य पाठ का गायन कर उपस्थित श्रोतागाणों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
उन्होंन होली पर ''ब्रज की रज में कछु खोय गई, कछु खोई गई मैं कुंज कचारन में इति छाह में कदम्ब की मोहि गई, इति मोहि गली गलियारन में....श्रोताओं को होली के रंग में रगं दिया।
आगरा से आयीं डॉ. रूचि चतुर्वेदी ने रचना '' अब तक तो केवल भ्रम पला था, आज मगर अनुबंध हो गया, युग बीता था, घट रीता था, आस न थी भरपाने की, केवल एक आस बाकी थी तन आकंठ डुबाने की" से काव्य पाठ का प्रारम्भ किया।
कविता के माध्यम से सभागार को होली के रंगो भिगोते हुए उन्होंने अपनी रचना ''होरी में हुराय रहे, चूनर भिजाएं रहे, श्याम-ग्वाल वाल सब डोल सिग गांव में, टेसुन सूं होद भरो, इत उत दौड परे भाज रहे कान्हा, जुलझाए रहे गांव में" कविता का पाठ कर उपस्थित श्रुतिजनों दाद देने पर मजबूर कर दिया।
आगरा से पधारीं डॉ. ज्योत्सना शर्मा ने अपनी रचना ''बादलों में रही बादलों की तरह, तुमने धारण किया मैं नदी हो गई, बादलों में रही............ शब्द ढाचे में ढलती रही उम्र भर, तुमने गाया सनम मैं गजल हो गई’ रचना की धुन पर श्रोता भी गुनगुनाते रहे।
कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने अपने सम्बोधन में कहा जबतक बेटियों को जन्म सिद्ध अधिकार और समान अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक बेटियाँ परिवार पर बोझ रहेंगी, यह समाज की बहुत बडी विकृति है। हमें बेटी को अवसर और पैत्रिक अधिकार बेटो के समान उपलब्ध कराने होंगे। जब तक समाज अपने अन्दर इस तरह का बदलाव नहीं करेगा तब तक बेटी पैदा होने से पहले ही मारी जाती रहेगी। जबतक इन मूल समस्याओं का समाधान नहीं होगा तब तक यह समस्या यथा स्थिति में बनी रहेगी।
उन्होंने 'उनके कहने से हम अपनी हँसी न छीनेंगे, न अपने गम का हिसाब उनसे पूछेंगे। न जायेंगे उनके तटपर, न हाथ बढ़ायेंगे। अपनी नैया हम खुद डूबने से बचायेंगे। हमारे सपनों का दीपक हम खुद ही जलायेंगे। उनसे जगमग महल से, कोई दीप नहीं लायेंगे।"
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए शब्दम् सलाहकार समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ कवि डॉ. धु्रवेन्द्र भदौरिया ने निम्न दोहों के माध्यम से बेटियों की स्थिति को दर्शाया।
''कन्याओं का वध करें, जो विकसित विज्ञान।
उससे अच्छा सौ गुना, पिछड़ापन अज्ञान।।"
''शास्त्र सभी समझा रहे, सीख दे रहे सन्त।
बिन दहेज की शकुन को, ले न रहा दुष्यन्त।।"
डॉ. सुशीला शील
30 वर्षों से विभिन्न विधाओं-कविता, कहानी, लघुकथा, नाटक, ग़ज़ल इत्यादि में लेखन, प्रकाशन
1989 से कवि सम्मेलनों, रेडियो, दूरदर्शन आदि पर काव्य पाठ
सप्रति - जयपुर राजस्थान महाविद्यालय में प्रवक्ता
रूचि - पढना, लिखना और समाज सेवा
डॉ. ज्योत्सना शर्मा
प्रवक्ता (हिन्दी विभाग)
आर.बी.एस. कालेज, आगरा
एम.ए - संस्कृत
एम.ए - हिन्दी
पी.एच.डी.-
- पुस्तक - '' लक्ष्मी नारायण मिश्र के नाटकों में युग चेतना"
- गीत संग्रह - शीघ्र प्रकाश्य
- विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में आलेख एवं रचनायें प्रकाशित
सम्प्रति - 'सहयात्रा'साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक सरोकारों को समर्पित संस्था- कार्यकारिणी सदस्य।
'अराधना’ सामाजिक संस्था की सक्रिय सदस्य आकाशवाणी से निरन्तर वार्ता, गीतों एवं कविताओं का प्रसारण।
विविध राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता।
डॉ. रूचि चतुर्वेदी,
असिस्टैंट प्रोफेसर, FET&-आगरा कालेज, आगरा
Email- ruchiaec3@gmail.com
पता- 1049/4त्, आवास विकास कालोनी, बोदला, आगरा ।
प्रकाशन- अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, सच का उजाला, सच का साया, राष्ट्रीय सहारा, आई नेक्स्ट, कल्पतरू आदि समाचार पत्रों में लेख, द सी ऐक्सप्रेस, द टाइम्स आॅफ इण्डिया, हिन्दुस्तान टाइम्ससाक्षात्कार व कवितायें प्रकाशित ।
प्रसारण- आगरा, कोटा, जबलपुर आदि आकाशवाणी से रचनाऐं प्रसारित । मून, डिजी, सी टीवी, सहारा समय (उत्तर प्रदेश) डीडी आदि चैनलों से कवितायें, गीत आदि प्रसारित ।
सम्मान- "युवा कवियत्री सम्मान" (चर्वणा समिति, आगरा), "भागिनी निवेदिता सम्मान" (राष्ट्र सेविका समिति, आगरा), "युवा रचनाकार सम्मान" (नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, आगरा), "कवियत्री सम्मान" (आर्य समाज, आगरा), "युवा प्रतिभा सम्मान" (हिन्दी सभा, आगरा), "साहित्य श्री सम्मान" (कायाकल्प फाउण्डेशन, नोएडा), "शब्द कोकिला सम्मान" (साहित्य परिवार, बैंगलोर), "हिन्दी शब्द सम्मान" ( पुरदिल नगर ), "हिन्दी सेवा सम्मान" बेहाला पुस्तक मेला, कोलकता (प0 बं0 ), "प्रज्ञा श्री अलंकरण" (वर्तिका, जबलपुर), "हिन्दी प्रतिभा सम्मान" (उत्तर प्रदेश साहित्य सम्मेलन व उत्कर्ष अकादमी कानपुर पूर्व कोयल मंत्री भारत सरकार श्री प्रकाश जैसवाल द्वारा प्रदत्त ), "साहित्य श्री सम्मान" भारतेन्दु समिति, (कोटा) विधायक रोजश बिड़ला द्वारा प्रदत्त । "युवा प्रतिभा सम्मान" राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास 19 अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन, आगरा । "विशिष्ट हिन्दी सेवा सम्मान" जे0एम0डी0 पब्लिकेशन, दिल्ली ।
अवाडर्स- प्रतिमा रक्षा सम्मान समिति, करनाल (हरियाणा) द्वारा ग्रेट आइकाॅन आॅफ इण्डिया आवर्ड (सिने अभिनेता अवतार गिल द्वारा) । IPERA पटना द्वारा ''बेस्ट स्टिस्टिसियन’’ अवार्ड । ISGBRD द्वारा वनस्थली विधापीठ में आयोजित संगोष्ठी में ''प्रसीडेंशियल अवार्ड’’ World science congress द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में केन्द्रीय मंत्री डाॅ नजमा हैप्तुल्लाह द्वारा ''Science Flame’’ अवार्ड दिया गया ।
फोटो परिचय-
काव्यपाठ करतीं कवयित्री डॉ. रूचि चतुर्वेदी।
काव्यपाठ करतीं कवयित्री डॉ. ज्योत्सना शर्मा।
काव्यपाठ करतीं कवयित्री डॉ. सुशीला 'शील’।
काव्यपाठ करती बी.डी.एम. महाविद्यालय की छात्रा शारदा द्विवेदी।
काव्यपाठ करती आदर्श कृष्ण महाविद्यालय की छात्रा देविका जौहरी।
काव्यपाठ करती आदर्श कृष्ण महाविद्यालय की छात्रा हर्षिता गुप्ता।
सभा का सम्बोधन एवं काव्यपाठ करतीं श्रीमती किरण बजाज।
सभागार में उपस्थित श्रोतागण।
समूह छायांकन।