एकजुट रहने की नसीहत
शैतान भेड़िये से कैसे बचा नन्हा मोमिन
स्पिक मैके, शब्दम् और ज्ञानदीप सीनियर सैकेंडरी पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में 6 दिसंबर 2013 को विश्वविख्यात कोलकाता पपेट थियेटर के कलाकारों ने कठपुतली खेल के द्वारा नई पीढ़ी को एकता का मूल्य समझाया। शैतानी ताकतें हर समुदाय और हर समय में मौजूद रही हैं। किसी साधारण व्यक्ति के पास इन ताकतों को पराजित करने के लिए सबसे कारगर माध्यम है, एकजुटता।
ज्ञानदीप विद्यालय में हुए पपेट शो में भेडिये और मेमने की चर्चित लोककथा को गहन नाट्य संप्रेषणीयता के साथ प्रस्तुत किया गया। कठपुतली के कौतूहलजनक आकार-प्रकार, दृश्य संयोजन एवं सटीक संचालन ने प्रस्तुति में बेहतर प्रभाव कायम किया। आवश्यकतानुरूप संगीत एवं ध्वनियों ने विशेष प्रभाव की सृष्टि की। सबसे अधिक प्रभावित किया कथोपकथन और उनकी शैली ने। मोमिन की बालसुलभ चेष्टाएं और मधुर बोली ने विद्यार्थी, शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं अन्य सभी दर्शकों को रस निष्पत्ति के परिपाक तक पहुंचाया।
मोमिन की कहानी ने यह संदेश दिया कि बुद्धि, विवेक और प्रबंधकीय कौशल का प्रयोग करके विपत्ति की स्थिति से कैसे निबटा जा सकता है। एक अन्य प्रस्तुति में रामायण के प्रसिद्ध बाल पात्र लव और कुश की कहानी के माध्यम से मूल्य, आदर्श एवं कौशल की सीख भी दी गई।
बहादुर मोमिन की कहानी
एक थी भेड़ और एक था उसका नन्हा सा मेमना मोमिन। दोनों जंगल में आराम से रहते थे। एक दिन मोमिन की मां को अपनी रिश्तेदारी में जाना था। रिश्तेदार का गांव कुछ दूर था। इसलिए उसे रात को लौटने में देरी हो सकती थी अथवा वहां रुकना पड़ सकता था।
एक थी भेड़ और एक था उसका नन्हा सा मेमना मोमिन। दोनों जंगल में आराम से रहते थे। एक दिन मोमिन की मां को अपनी रिश्तेदारी में जाना था। रिश्तेदार का गांव कुछ दूर था। इसलिए उसे रात को लौटने में देरी हो सकती थी अथवा वहां रुकना पड़ सकता था।
मां ने यह बात मोमिन को बताई। मां के जाने की बात सुनकर मोमिन थोड़ा उदास हो गया। मां ने उसे समझाया कि यदि एक दिन वह अकेले ही घर की जिम्मेदारी संभालेगा तो वह उसके लिए सुंदर उपहार लेकर आयेगी।
मोमिन ने मां की बात मान ली। मां ने उसे सुरक्षा से रहने की हिदायत दी और चल पड़ी। जाते-जाते मां ने कहा कि नदी से पानी भर कर जरूर रख लेना, वह पूरी कोशिश करेगी कि रात को ही वापस आ जाए।
अकेला मोमिन कुछ देर घर में खेलता रहा। एकाएक उसे मां का आदेश याद आया। उसने पानी के दो वर्तन उठाये और चल दिया नदी की ओर। फूल और तितलियों से अठखेलियां करता हुआ वह नदी के तट पर जा पहुंचा। प्रकृति के सौंदर्य के मध्य पानी की कल-कल ध्वनि सुनकर वह प्रफुल्लित हो गया। उसे नदी की धारा में कुछ गहरे तक घुस कर छपाक-छपाक की घ्वनि करने में बड़ा मजा आया।
जलक्रीड़ा के पश्चात बर्तन भर कर वह जैसे ही तट से ऊपर की ओर चला, एक भेड़िये की गुर्राहट को सुनकर उसके कदम रुक गये। सामने से आ रहा भेड़िया मोमिन से धूर्ततापूर्वक बोला, ‘‘ इस नदी का पानी मेरा है और मेरी मर्जी के बिना यह पानी कोई नहीं ले सकता। जिसने यह अपराध किया है उसे सजा मिली है।’’ भेड़िये ने उससे कई कुटिल प्रश्न पूछेू। मोमिन ने निडर होकर उनका उत्तर दिया। अंत में भेड़िया ने धमकी दी कि वह रात को उसे खा जाएगा।
धमकी सुनकर नन्हे मोमिन का कलेजा कांप गया। रोता-बिलखता वह घर की ओर चल दिया। रास्ते में एक बिल्ली ने उससे रोने का कारण पूछा। मोमिन ने अपने बुद्धिमानीपूर्ण तर्कों के साथ भेड़िये की धमकी के बारे में बिल्ली को बताया। पूरी बात सुनकर बिल्ली गुस्से से लाल-पीली हो गई। उसने मोमिन की बहादुरी की प्रशंशा की और कहा कि वह शाम होते ही उसके घर आ जाएगी। वह स्वयं को अकेला न समझे। इसी तरह चलते-चलते उसे कुत्ता, घोड़ और हाथी मिले। सभी ने मोमिन को धैर्य बंधाया और शाम होते ही मोमिन की सुरक्षा के लिए उसके घर आने का आश्वासन दिया।
मोमिन को जंगल के इन शुभचिंतकों से काफी तसल्ली हुई। लेकिन घर पहुंच कर भी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उसे मां की याद आने लगी। शाम को अंधेरा होने के साथ ही कई कदमों की आहट से चैंक कर मेमने ने खिड़की से बाहर झांका तो देखा कि उसके शुभचिंतक चले आ रहे हैं। वे सभी घर के अंदर छिप गये।
चंद्रमा जैसे जैसे आकाश में शीर्ष की ओर कदम बढ़ा रहा था, वैसे-वैसे धूर्त भेड़िया मोमिन के घर की ओर बढ़ा चला जा रहा था। दरवाजे पर पहुंच कर उसने आवाज दी। कोई प्रत्युत्तर न पाकर वह मन ही मन हंसने लगा। उसे महसूस हुआ कि उसका शिकार सहम कर छिप गया है और विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वह निश्चिंत हो गया कि अब उसका रास्ता साफ है।
लेकिन भेड़िये की यही निश्चिंतता उसकी पराजय का कारण बन गई। बिना कोई मौका दिये बिल्ली और कुत्ते ने उस पर हमला बोल दिया। वह संभल कर उनका मुकाबला करने को तैयार हुआ तो घोड़ा और हाथी ने मोर्चा खोल दिया। घोड़े की दुलत्तियों ने उसकी पसलियां तोड़ दीं। इसके बाद हाथी के मजबूत पैर की ठोकर ने उसे फुटबाॅल की तरह हवा में उछाल दिया।
‘‘मोमिन ओ मोमिन, हमने तुम्हारे दुश्मन को सबक सिखा दिया। अब वह तुम्हें कमजोर समझने की कभी भूल नहीं करेगा। हम सब तुम्हारे साथ हैं।’’ सभी शुभचिंतक जानवरों ने यह कहते हुए मेमने को कंधे पर उठा लिया। वे सब गाते और गुनगुनाते हुए जीत का नृत्य करने लगे।
आकाश में चन्द्रमा तेजी से धरती की ओर चल पड़ा था। चिड़ियों के स्वर सुबह का उजाला फूटने का संकेत देने लगे। दूर एक पेड़ के पीछे मां की धंुधली सी आकृति को देख मोमिन मां -मां चिल्ला कर भागा। मां ने उसे दौड़ कर सीने से चिपटा लिया। सभी की आंखों में खुशी को आंसू छलक आये।
शिक्षा:- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि संकट के समय में हमें अपना साहस नहीं छोड़ना चाहिए। हमें यह तय करना चाहिए कि ऐसे में कौन हमारी सहायता कर सकता है। हमें तरह-तरह के रूपों में मिलने वाले भेड़ियों से सावधान रहना चाहिए।
पपेट शो में शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज का स्वागत करते हुए विद्यालय की डायरेक्टर डा. रजनी यादव।
कोलकाता पपेट थियेटर की टीम।
मेमने और भेड़िया में जुबानी जंग का एक दृश्य।
लवकुश की प्रस्तुति के दौरान सीता के पुत्रों को दुलारते हुए ऋषि वाल्मीकि।
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