पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में जनपदीय पत्रकार सम्मेलन सम्पन्न

शब्दम् की ओर से 31 मई 2006 को शिकोहाबाद जनपदीय पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें पत्रकारों से निश्पक्षता, निर्भीकता और सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्य करने का आह्वान किया गया। वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि अति महत्वाकांक्षी लोग पत्रकारिता के क्षेत्र में न आयें। प्रभाव और पैसा अर्जित करने की ललक, मिशन की भावना को कमजोर बना देती है।

पत्रकार सतीश मधुप ने ''हिन्दी पत्रकारिता : चुनौतियाँ और सम्भावनाएं'' विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 'इस क्षेत्र में अनेक मुश्किलें हैं। वर्तमान दौर में यह कार्य ज्यादा दुरूह हो गया है, लेकिन मुश्किलों को पराजित कर आगे बढ़ना ही नियति है। उन्होंने विश्वास जताया कि पत्रकार इस व्यवस्था को बदलने की कूबत रखता है।'

श्री निर्विकार उपाध्याय ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि- ''पत्रकारों पर समाज का विशेष दायित्व है, तो समाज का भी पत्रकारों के प्रति दायित्व है। उन्होंने कहा कि समाज में दायित्वों के साथ-साथ कर्तव्यों का बोध भी बना रहना चाहिए।''

श्री प्रशान्त उपाध्याय ने पत्रकारों के निश्पक्ष कार्य की बढ़ती आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकार में हवा के रूख के विपरीत चलने का साहस होता है। श्री योगेश यादव ने शब्दम् के कार्यक्रमों तथा विभिन्न क्षेत्र में किये गये प्रयासों को सार्थक बताते हुए कहा कि छोटे-छोटे कार्यक्रमों से ही बड़े विकास हो जाते हैं।

श्री दिनेश बैजल ने सम्मेलन के विषय- ''हिन्दी पत्रकारिता : चुनौतियाँ एवं सम्भावनाएं'' पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ''पूर्वाग्रह रखने वालों के समक्ष कठिन चुनौतियाँ आती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार केवल माध्यम का काम करें और चटपटी खबरों के अलावा सकारात्मक कवरेज को भी स्थान दें।''

श्री सीताराम शर्मा ने पत्रकारों की समाज में भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्हें चुनौतियों का सामना करते समय विचलित न होने की सलाह दी। उन्होंने शब्दम् के कार्यक्रमों में हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम में उपस्थित नगर तथा क्षेत्र के विभिन्न पत्रकारों सर्वश्री निर्विकार उपाध्याय, दिनेश बैजल 'राज', राजेश द्विवेदी एवं देवेन्द्र शर्मा ने चुनौतियाँ और सम्भावनाओं के विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे स्थानों पर संवाद व्यवस्था के रूप में काम करने वाले ही लोग बड़े संस्थानों की नींव की ईंट की तरह होते हैं। वे स्वयं अंधेरे में रह कर समाज को प्रकाशित करने का प्रयास करते हैं।

पत्रकारिता दिवस पर आमंत्रित पत्रकार एवं गणमान्य

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