‘कोई नहीं जानता धर्म किस चिड़िया का नाम है'
द्वितीय स्थापना दिवस समारोह का समापन कार्यक्रम आगरा ‘इप्टा' के कलाकारों द्वारा ‘रंग त्रिवेणी' शीर्षक से प्रस्तुत किया गया।
प्रथम प्रस्तुति में ‘बिटिया' में किरण बजाज और शषि तिवारी की कविताओं पर आधारित रचनाओं पर सुश्री चित्रांषी मिश्रा तथा सौम्या रघुवंषी द्वारा भाव अभिनय प्रस्तुत किया गया।
पहली रचना में ‘बिटिया' की सहज—सरल—संवेदनषील छवियों को उभारा गया है। वहीं दूसरी रचना में, भू्रण हत्या के कारण अजन्मी ‘बिटिया' की मार्मिक वेदना को प्रस्तुत किया गया है। इन भाव अभिनयों को देखकर दर्षकों के नेत्र सजल हो गये।
द्वितीय प्रस्तुति स्वर्गीय श्री राजेन्द्र रघुवंषी की परिकल्पना तथा अमृतलाल नागर के उपन्यास पर आधारित ‘सेठ बांकेलाल' का डिम्पी मिश्रा द्वारा कथा—कथन शैली में प्रस्तुतिकरण को दर्षकों ने बहुत सराहा। एक ही कलाकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों का अभिनय वो भी आगरा की टकसाली जुबान में.... सारे सभागार को मोहित कर दिया।
‘रंग त्रिवेणी' की अन्तिम प्रस्तुति थी ‘तेलगू कहानी' पर आधारित ‘राई' नाटक का मंचन। एक ऐसा गाँव की कहानी, जिसमें कोई अपराध नहीं होते हैं। पुलिस इंस्पेक्टर शॉटपुट, फेंकने के अभ्यास में लगा रहता है और स्वप्न देखता है कि कैसे उसका नाम गिनीज़ बुक में आ जाये। गाँव के मुखिया तथा उसके बन्धुआ मज़दूर के बीच के द्वन्द के बीच घूमती कहानी कई मनोरंजक एवं संवेदनषील उतार—चढ़ाव से गुज़रती है और अन्त में शोषित की व्यथा को प्रगट करती है जो कि चरम परिणति के रूप में पत्थर को राई समान उठा लेते हैं।
समस्त पात्रों के सजीव एवं सषक्त अभिनय से युक्त इस नाटक का निदेषन दिलीप रघुवंषी ने किया। ‘रंग त्रिवेणी' का संयोजन जितेन्द्र रघुवंषी सचिव ‘इप्टा' आगरा ने किया।
द्वितीय स्थापना दिवस समारोह का समापन अध्यक्ष किरण बजाज के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। समस्त कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में सुधीजनों ने भाग लिया और सराहा।
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सेठ बांकेलाल का जीवंत अभिनय करते डिम्पी मिश्रा | नाटक ‘राई' का चरम दृष्य |
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नाट्य मंचन की समाप्ति पर आभार प्रकट करतीं किरण बजाजढइतझ साथ में (बायें से) निदेषक दिलीप रघुवंषी, संयोजकढइतझ जितेन्द्र रघुवंषी तथा नाटक के कलाकार |
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