सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र

‘नारी को सिर्फ साक्षर ही नहीं, स्वावलम्बी भी बनना होगा’ इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शब्दम् संस्था बालिकाओं-महिलाओं के मध्य सिलाई केन्द्र का संचालन करती है। वर्तमान में सिलाई के दो सत्र हिन्द लैम्प्स परिसर केन्द्र में एवं एक सत्र शिकोहाबाद के शम्भूनगर केन्द्र में चलाया जा रहा है।

पिछले एक दशक से शब्दम् सिलाई केन्द्र लगभग 1500 बालिकाओं/महिलाओं को सिलाई कला में निपुण बनाकर स्वावलम्बी बना चुका है।

अभी तक संस्था नगला बांध, बढाईपुरा, झमझमपुर, बैरई, मेवली, नगला सुन्दर, खतौली, रसूलपुर, नगला टीकाराम, छोटी सियारमऊ, बड़ी सियारमऊ, नगला लोकमन, नगला जवाहर, नगला ऊमर, बड़ी गैलरई, नगला सीताराम, हरगनपुर, नगला चन्दा, लाछपुर आदि ग्रामों में सिलाई केन्द्र संचालित कर चुकी है।

सिलाई केन्द्र में सिलाई प्रशिक्षण सीख रहीं कुछ छात्राओं के विचार....

आज मुझे यहाँ तीन महीने पूरे हो गये हैं। हमने यहाँ पर बहुत कुछ सीखा। मुझे यहाँ आकर बहुत अच्छा लगता है। मैंने यहां ब्लाउज और बैग बनाना भी सीखा है। मुझे थोड़ी बहुत सिलाई करनी आती थी लेकिन यहाँ आकर मैंने और अच्छी तरह से सिलाई सीखी है। मुझे इन्चीटेप में कुछ नहीं आता था, वो भी यहाँ आकर सीख पायी। सिलाई करना मुझे बचपन से पसन्द था और जो मुझे अच्छा लगता उसे मैं मन लगाकर सीखती हूँ।

प्रिया यादव
छात्रा, सिलाई केन्द्र

मैंने सिलाई केन्द्र में सर्वप्रथम टाँके लगाना सीखा। सिलाई केन्द्र में हमें मैडम द्वारा अखबार की कटिंग के माध्यम से कपड़ा काटने का तरीका सीखने को मिला। आज मैं पेटीकोट, सादा ब्लाउज और अस्तर का कपड़ा बना लेती हूँ। गांव की कुछ महिलाओं के कपड़े सिलकर मैं अपना पढ़ाई का पूरा खर्च स्वयं कमा लेती हूँ।

मजधा यादव
छात्रा, सिलाई केन्द्र

सर्व प्रथम हमने सिलाई केन्द्र में टांके लगाने सीखे, बाद में सूट काटना सीखा। मैं इतनी दूर से आती हूँ मेरा किराया 20 रु. लगता है, पर मैं इसे लगन से सीखना चाहती हूँ। हमारे गांव की मधु ने भी यहीं से सिलाई सीखी थी। आज वह 200 से 250 रु. प्रतिदिन सिलाई के माध्यम से कमा लेती है। मैं भी उसी की तरह बनना चाहती हूँ।

नीतू यादव
छात्रा, सिलाई केन्द्र

हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण के दौरान सिलाई करतीं बालिकाएँ।

शब्दम् सिलाई केंद्र एक दृश्य।

प्रशिक्षण के दौरान तैयार किए वस्त्रों के साथ बालिकाएँ।

shabdam hindi prose poetry dance and art

previous topic next article