कबीर - रसखान स्मृति समारोह

शब्दम् ने अपने कार्यक्षेत्र का और विस्तार करते हुए 23 जून को लखनऊ में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में कबीर और रसखान की स्मृति में विचार गोष्ठी और कवि सम्मेलन का आयोजन किया। क्रांतिकारी कवि कबीर और कृष्णभक्तिमार्गीय कवि रसखान के साहित्य की प्रासंगिकता पर कार्यक्रम में विद्वानों ने गंभीरता से चर्चा की।

इस अवसर पर डा. विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि कबीर ने जितना मन के बारे में लिखा और मार्गदर्षन किया उतना अन्य किसी ने नहीं, वे जानते थे कि आदमी के लिये अपने मन को जीतना ही सबसे कठिन होता है। उन्होंने कहा कि कबीर को सारी शक्ति आध्यात्म, नैतिक संवेदना और आस्थापरक दृष्टि से मिली थी। उनमें आध्यात्मिकता, संवेदनशीलता व संघर्षशीलता के साथ आधुनिक संवेदना भी स्पष्ट दिखाई देती है।

रसखान को सजीव शब्दों का रचियता बताते हुए जाहिल सुल्तानपुरी ने कहा कि उन्हें काव्य प्रेम, श्रंगार, और सौन्दर्य की एकदम अलग दृष्टि है। उर्दू अकादमी के अध्यक्ष डा. मलिकजादा मंजूर अहमद ने कहा कि जिसने जनता की भाषा को समझा उसकी बात दूर तक पहुँची। डा. मुहम्मद यूनुस उस्मानी ने भाषायी एकता की बात की। डा. युगेश्वर ने कहा कि कबीर समन्वयकारी कवि थे। राज्यसभा सदस्य और कवि उदयप्रताप सिंह ने शब्दम् की अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज द्वारा हिन्दी के लिए किये जा रहे सफल - सार्थक कार्यों का विवरण दिया। उन्होंने हिन्दी-उर्दू एकता की बात पर बल देते हुए कहा कि ''शनै: -शनै: विश्व में हिन्दी का प्रसार हो रहा है तथा जल्द ही हिन्दी को इंग्लैण्ड में दूसरी भाषा का दर्जा मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं विख्यात कवि सोम ठाकुर ने भी कबीर एवं रसखान को हिन्दी साहित्य का ठोस धरातल बताया। शब्दम् की ओर से श्री उमाशंकर शर्मा ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, समस्त आमंत्रित कवि, वक्ता व श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें जनाब रफीक सदानी, वाहिद अली वाहिद, नासिर अली नदीम, अंसार कंबरी, दीन मुहम्मद दीन, फारुख सरल, मासूम गाजियाबादी, तथा मोहतरमा शमां परवीन आदि कवियों ने श्रेष्ठ रचनाओं के पाठ से पूरे कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। अंत में उ.प्र. हिन्दी संस्थान के निदेषक श्री मिश्र ने शब्दम् के प्रति आभार व्यक्त किया और विश्वास प्रगट किया कि भविश्य में भी दोनों संस्थाएं मिल कर कार्यक्रम कराती रहेगीं।


कार्यक्रम में कवियों द्वारा प्रस्तुत रचनाओं के अंश :-

हम हिन्दी पर कुर्बान हुए हम हिन्दुस्तानी मुसलमान।
भाषा से धर्म नहीं जोड़ा, हो भले अलग अपनी जुबान॥
                                     - दीन मुहम्मद दीन

प्यार कविता प्यार ही रस छन्द है।
जिन्दगी का प्यार में आनन्द है।
प्यार जिसकी जिन्दगी में ना शमा
जिन्दगी उसकी तो बस इक द्वन्द है।
                                        - कु. शमा परवीन

जब पूजा अजान में भेद न हो, खिल जाती है भक्ति की प्रेम कली।
रहमान की राम की एक सदा, घुलती मुख में मिसरी की डली।
जब संत फकीरों की राह मिली, सब भूल गये पिछली, अगली।
मियां 'वाहिद' बोलते मौला अली, बजरंग बली - बजरंग बली॥
                                            - वाहिद अली वाहिद

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