आनंदा शंकर द्वारा शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति
स्पिक मैके द सोसाइटी फाॅर द प्रमोशन आॅव इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर एमाॅग्स्ट यूथ) संस्था पिछले 36 वर्षों से भारत की विविध कलाओं के माध्यम से छात्र-छात्राओं के बीच संस्कृति में प्राण फूंकने का ठोस प्रयास कर रही है। इसकी सहभागिता से ‘शब्दम’ ने फीरोजाबाद और मैनपुरी जनपद में कई आयोजन किए हैं। 20 अप्रेल 2013 को शिकोहाबाद में शब्दम् और स्पिक मैके के संयुक्त तत्वावधान में भरत नाट्यम और कुचिपुड़ि नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के माध्यम से विश्व विख्यात नृत्यांगना डाॅ. आनंदा शंकर जयंत ने इस आयोजन के माध्यम से अपनी नृत्यकला को बेहद सजीव तरीके से प्रस्तुत किया। कृष्ण द्वारा माखनचोरी करना मटकी तोड़ कर ग्वालबालों के संग माखन लूट लेना और बचा हुआ गोपी के मुंह पर पोत कर भाग जाना आदि पौराणिक प्रसंगों को प्रस्तुत कर सभी की सराहना प्राप्त की। जिलाधिकारी संध्या तिवारी ने समारोह का शुभारंभ किया। शब्दम् की अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज एवं शेखर बजाज ने डाॅ आनंदा शंकर और उनके साथी कलाकारों का हरित कलश भेंट कर स्वागत किया।
इस समारोह में आनंदा शंकर जयंत ने स्कूली बच्चों को बताया कि भरतमुनि द्वारा रचित नाटयशास्त्र ही नृत्यकला का मूल श्रोत है। भरतमुनि को यह विद्या ब्रह्माजी ने दी। उन्होंने कहा कि भरतनाटयम और कुचिपुडि नृत्य की विधाएं देश की सांस्कृति आत्मा हैं। एक विधा पूरब से और दूसरी दक्षिण भारत से संबंध रखती है। आनंदा ने कहा कि नृत्य मानव की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। हर रोज, हर शख्स नाचता है। उसकी आम दिनचर्या के कई हावभाव नाच की श्रेणी में हैं। लेकिन उनका प्रकटीकरण एक क्रम में नहीं होने से उन्हें स्पष्ट रूप से नृत्य नहीं कहा जा सकता है। कुचिपुडि और भरतनाट्यम के अंतर को भी उन्होंने मुद्राओं के उदाहरण देकर समझाया।
आनंदा शंकर का स्वागत करते हुए श्रीमती किरण बजाज एवं जिलाधिकारी श्रीमती संध्या तिवारी।
भरतनाट्यम नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति करते हुए आनंदा शंकर।
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