नृत्यांगना रानीखानम् की प्रस्तुति एवं महिला दिवस के उपलक्ष्य में महिला चिकित्सकों का सम्मान

संयोजन- शब्दम् एवं स्पिक मैके
दिनांक- 3 मार्च 2015
स्थान- संस्कृति भवन, हिन्द परिसर , शिकोहाबाद

‘‘होली के खिवइया कैसे बन आया रे’’

‘शब्दम्’ एवं सहयोगी संस्था ‘स्पिक मैके’ के संयुक्त तत्वावधान में महिला दिवस और होली के शुभ अवसर पर पं. बिरजू महाराज की शिष्या, कत्थक नृत्यांगना सुश्री रानी खानम के नृत्य का आयोजन करवाया गया एवं शिकोहाबाद शहर की महिला चिकित्सकों को भी सम्मानित किया गया।

रानी खानम भारत की जान मानी कत्थक कलाकार हैं। लखनऊ घरान की नृत्य कला को समर्पित रानी खानम पिछले 15 वर्षों से श्री बिरजू महाराज और रेबा विद्यार्थी से नृत्य की शिक्षा ले रही है। देश विदेश में प्रतिवर्ष कार्यक्रम करने वाली रानीखनम को सूफी कलामों में बेहद रूचि है। अपने आत्मविश्वास और साहस की वजह से नृत्य को एक नया आयाम देने वाली रानी खानम पहली मुस्लिम नृत्यांगना है जो इस्लामी आयातों, सूफी कलामों एवं सूफी काव्यों पे नृत्य करती हैं।

दुनिया भर से पुरूस्कार एवं सराहना बटोरने के बाद नृत्यागंना एवं रानी प्रसिद्ध आम अकेड़मी में नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हैं।

सुश्री खानम ने अपने गणपति वंदना के साथ अपने नृत्य की शुरूआत की। सभागार में मौजूद सभी लोगों को उन्होंने मुद्राओं के विषय में जानकारी दी कि किस तरह आपके शरीर के विभिन्न अंग बिना बोले ही भाव के द्वारा सब कुछ कह जाते हैं। लखनऊ घराने के कत्थक में भाव की बहुत अहम् भूमिका है।

रानी जी ने अपने नृत्य के माध्यम से राधा कृष्ण होली प्रसंग और नींद से जागी नायिका के बारिश की बूँदों से खेलने के भाव ऐसा संजीव चित्रण किया कि सभागार तालियों से गूँज उठा।

मंत्रमुग्ध समुदाय को उन्होंने कुछ इस तरह अपने कला कौशल से बाँधा की समय बीत जाने का पता ही नही चला।

इस सुअवसर पर शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने होली पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा भक्त प्रहलाद और हीरण्यकश्यप का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्याय, असत्य, हिंसा और सत्ता के मद से चूर राजा का सत्य, प्रेम और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले प्रहलाद द्वारा नाश कर दिया गया। श्रीमती बजाज ने अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों के कारण उठने वाली वेदना को सभी के साथ साझा किया।

सभी महिला चिकित्सकों का उदाहरण देते हुए श्रीमती बजाज ने कहा कि यदि अवसर मिले तो मुट्ठी भर महिलाएं भी देश का नाम रोशन कर सकती हैं।

यह प्रथम अवसर था जब शब्दम् ने महिला दिवस पर महिला चिकित्सकों का सम्मान किया। उत्तर प्रदेश में महिलाओं की वर्तमान स्थिति के विषय में ज्यादतर चिकित्सकों का मानना था कि स्त्रियों को अपनी स्थिति स्वयं सुधारनी होगी। साथ ही साथ शिक्षा के साथ रोजगार हेतु प्रशिक्षण भी लेने होने। सभी चिकित्सकों का ये मानना था कि सरकारी स्तर पर प्रसूति के समय नियुक्त आशाओं को और अधिक प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

शब्दम् द्वारा आयोजित इस समारोह में प्राचार्य डाॅ. कान्ता श्रीवास्तव, महिला चिकित्सकों डाॅ. रूचि अग्रवाल, डाॅ. दीपाली अग्रवाल, डाॅ. संगीता माथुर, डाॅ. लीना गुप्ता, डाॅ. सीमा अग्रवाल, डाॅ. राधा सिंघल, डाॅ. विमला शर्मा, डाॅ. विमला कपूर, डाॅ. नेहा ने कला के क्षेत्र से जुड़ी रानी खानम का सम्मान किया। इस प्रकार यह कार्यक्रम सौहार्दपूर्ण वातावरण में समाप्त हुआ।


डाॅ. संगीता माथुर को हरित कलश भेटकर स्वागत करती किरण बजाज।


नृत्य प्रस्तुत करती रानी खानम।


नृत्यांगना रानी खानम की प्रस्तुति।


संस्कृति भवन समूह छायांकन।


नृत्य का आनंद लेते श्रोतागण।


महिला दिवस पर रानी खानम् के साथ समूह छायांकन।


डाॅ. नेहा को महिला दिवस के अवसर पर शब्दम् सम्मान पत्र भेंट करते दीपक औहरी।


मधुमहेश्वरी विद्यालय में नृत्य प्रस्तुत करती रानी खानम।


बी.डी.एम. डग्री कालेज में रानी खानम् के साथ समूह छायांकन।

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