ब्रज काव्य परम्परा एवं प्रासंगिकता
'शब्दम्' स्थापना दिवस का श्री गणेश ''ब्रज काव्य परम्परा एवं प्रासंगिकता'' पर विचारगोष्ठी से हुआ। 17 नवम्बर 2004 को हिन्द लैम्प्स परिसर में आयोजित समारोह में सर्वप्रथम 'शब्दम्' अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज तथा हिन्द लैम्प्स के चेयरमैन श्री शेखर बजाज ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमती बजाज ने कहा कि ''गत 20 वर्षों से हिन्दी की उपेक्षा हुई है। साथ ही ब्रज और अन्य समृध्द बोलियों का साहित्य भी जन साधारण के सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में एक विचार गोष्ठी की बहुत उपादेयता है।'' तत्पश्चात् भाग ले रहे विद्वानों ने क्रमश: अपने विचार रखे। सूरपीठ आगरा विश्वविद्यालय के आचार्य डा. पी.एन. श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि ''शब्द ब्रह्म श्री राधिका जी के चरण कमल में धारण किये नूपुर के कलरव में विद्यमान है। आज ब्रज संस्कृति के सर्वविधि संरक्षण की महती आवश्यकता है......''
उ.प्र. हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष एवं जाने-माने कवि श्री सोम ठाकुर ने कहा कि ''ब्रजभाषा में संसार की स्वीकृति है, इसमें प्रेम है, श्रध्दा है, भक्ति है, मनुष्य की सम्पूर्णता की स्वीकृति है। लोकजीवन में ब्रजभाषा जन-मन की भाषा है। परम्परा रूढ़ि नहीं विकास का अंश है।''
वृन्दावन शोध संस्थान के निदेशक आचार्य गोविन्द शर्मा ने कहा कि ''श्रीकृष्ण की जन्मभूमि की भाषा - ब्रज, मध्यकाल में देश की भाषाओं की सिरमौर रही और लगभग पाँच शताब्दियों तक उसने देशवासियों के मन एवं आत्माओं पर राज्य किया। उसका साहित्य कालजयी है, जो जीवन के आदर्श मूल्यों पर आधारित है।''
इस अवसर पर प्रो. नन्दलाल पाठक, श्री बालकृष्ण गुप्त ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये तथा 'शब्दम्' स्थापना के लिए श्रीमती किरण बजाज के प्रति आभार प्रकट किया।