...तो आज हमें आजाद हिंदुस्तान नहीं मिलता

कार्यक्रम विषय :ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन

दिनांक : 1 जुलाई 2012

संयोजन : शब्दम्

आमंत्रित कवि : श्री ओमप्रकाश उपाध्याय ‘मधुर’, श्री जयेंद्र पाण्डेय ‘लल्ला’, श्री श्रीकांत सिंह, कुमारी योगेश चैहान

‘ग्रामीण जन भारतीय समाज का केंद्र होने के साथ ही वास्तविक भारत के परिचायक भी हैं’-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा कई वर्ष पूर्व किया गया यह अवलोकन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था। भारतीय समाज के केंद्र इन्हीं ग्राम वासियों को भारतीय संस्कृति और साहित्य से जोड़े रखने के लिए साहित्य, संगीत और कला को समर्पित संस्था शब्दम् द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस वर्ष पांचवां ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन फिरोजाबाद जिले के अंतर्गत जसराना में महादेव मंदिर के पास स्थित बगिया में आयोजित किया गया। भयंकर गर्मी और जला देने वाली लू के थपेड़ों के बावजूद साहित्य और कविता प्रेमी ग्रामीणों ने उत्साह से लबरेज रहते हुए कार्यक्रम का भरपूर आनन्द उठाया।

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश उपाध्याय ‘मधुर’ ने की और अपने लोकगीतों के माध्यम से लोगों को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। डा. राजेन्द्र यादव (मिलावली) जयेंद्र पाण्डेय ‘लल्ला’ (मैनपुरी), श्रीकांत सिंह (लखीमपुर खीरी) और नवोदित कवयित्री कुमारी योगेश चैहान (एटा) ने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों का न सिर्फ मनोरंजन किया बल्कि समाज में फैली विभिन्न बुराइयों जैसे कन्या भूर्ण हत्या, किसानों की समस्याओं आदि के प्रति जागरूकता का संदेष दिया।

शब्दम् सलाहकार मंडल के सदस्य डा. धु्रवेन्द्र भदौरिया ने कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए वीर रस की अपनी कविता ‘...तो आज हमें आजाद हिंदुस्तान नहीं मिलता’ के माध्यम से श्रोताओं में जोश का संचार किया। जसराना के स्थानीय कवियों खलील गुमनाम, अषोक अनजाना और दुर्ग विजय सिंह ने भी काव्य पाठ किया। श्रोताओं ने भी साहित्य प्रेमी होने का परिचय देते हुए खूब तालियां बजाईं। शब्दम् अध्यक्ष का संदेष: कवि सम्मेलन के दौरान शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने मुंबई से दूरभाष के माध्यम से लोगों को संदेष दिया। श्रीमती बजाज ने कहा कि ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन के आयोजन के पीछे मुख्य उद्देष्य हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति लोगों के मन में प्रेम जगाना है। श्रीमती बजाज ने अधिक से अधिक संख्या में लोगों को हिंदी के उत्थान के लिए कार्य करने की सीख दी।

शब्दम् उपाध्यक्ष प्रो. नंदलाल पाठक का संदेष: वरिष्ठ कवि प्रो. नंदलाल पाठक ने दूरभाष से दिए संदेष में अपनी गजल ‘नभ रहे नीला धरा धानी रहे, सांस ले सकने में आसानी रहे’ के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेष दिया।

सरस्वती वंदना प्रस्तुत करती कुमारी योगेश चैहान।

काव्य पाठ करते डाॅ. राजेन्द्र यादव।

काव्यरस पान करते श्रोता।

आमंत्रित कलाकार, शब्दम् सलाहकार मण्डल एवं ग्रामीणजन।

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