कबीर महोत्सव
शब्दम् एवं सहेज फाउण्ड़ेशन के संयुक्त तत्वाधान में चतुर्थ कबीर महोत्सव 8 जनवरी से 12 जनवरी तक मुम्बई के अलग-अलग 18 स्थानों पर 26 कार्यक्रम किये गये।
सहेज का उद्देश्य कबीर तथा अन्य सूफी एवं भक्ति रस के कवियों की कविताओं, गीत, दोहे आदि के माध्यम से प्रेम, भाईचारा, अध्यात्म कुरूतियों के विरूद्ध एक शान्ति के संदेश को समाज में जन-जन तक पहुंचाने का उद्देश्य है, विगत 4 वर्षों से इसी लक्ष्य को सामने रखते हुये कराये जा रहे हैं।
मुम्बई महानगर के विशाल क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुये, कबीर महोत्सव में 26 कार्यक्रम, मुम्बई के 18 अलग-अलग स्थानों पर आयोजित किये गये। पश्चिम क्षेत्र के फोर्ट, भिण्डी बाजार, बान्द्रा, खार, जुहू, अन्धेरी तथा बोरीवली एवं पूर्व क्षेत्र के परेल, भायरवला, सायन, विद्याविहार, देवनार, बेलापुर, तथा थाना क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित किये गये। सभी कार्यक्रम पूर्ण निःशुल्क तथा आम जनता के लिये थे। सभी वर्गों के लोगों ने कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम में उच्चकोटि के उत्कृष्ट लोकगायक भारत के अलग-अलग प्रांत से आये।
- मालवा से सह्रदय सबको सुखद आनन्द की अनुभूति कराने वाले - पदमश्री प्रहलाद सिंह तिपानिया
- राजस्थान के लोक संगीत में कबीर तथा मीरा को जोड़ने वाली मरूस्थल की कोकिला कंठी - भंवरी देवी
- चुरू-राजस्थान से कच्छ लोक कहावतों में कबीर, मीरा तथा शाह अब्दुल लतीफ भिटाई, की कृतियों का समावेश करने वाले- मोरालाला मारवाड़ा
- कच्छ-गुजरात से, बंगाल के बाऊल लोक संगीत की अद्भुत, प्रस्तुति देने वाली - पार्वती बाऊल एवं लक्ष्मणदास बाऊल
- मध्यप्रदेश से नई पीढ़ी के दिलों में आध्यात्मिकता की ज्योति जागृत करते हुये- देवनारायण सारोलिया एवं तिपानिया बुआयस
रमा वैद्यनाथन द्वारा भरत नाट्यम नृत्य में ‘‘मैड एण्ड डिवाईन” नामक प्रस्तुति में जनाबाई एवं लाल देड की कविताओं का सजीव वर्णन, भारतीय वाद्ययन्त्र वादक तथा गायक मकरन्द देशपाण्डे तथा सतीश कृष्णमूर्ति के सहयोग से संजुक्ता वाघ द्वारा वरकारी सम्प्रदाय से ‘‘उभा विटेवारी” का विभिन्न सुरों में सुरमयी प्रस्तुतिकरण।
हजरत अमीर खुसरों पर एक अध्याय:
- दिल्ली के दांस्तागो एवं कहानी कहने वाले अंकित चड्ढा, कुशल वाद्ययन्त्र वादक एवं गायिका, बिन्दु मालिनी बैंगलूर से तथा चैन्नई से वेदान्त भारद्वाज, तीनों की जुगलबन्दी द्वारा संगीतमय कहानी का सुन्दर प्रस्तुतिकरण।
- अमीर खुसरों की कविताओं में आध्यात्म - एक परिचर्चा द्वारा डा0 सुनील शर्मा विभागाध्यक्ष, आधुनिक भाषा एवं तुलनात्मक साहित्य -बोस्टन विश्वविद्यालय
- युसूफ सईद तथा इफ्फत फातिमा द्वारा निर्देशित ‘‘द हेरिटेज आWफ अमीर खुसरो’’ नामक वृत्त चित्र को दिखाना।
यहाँ एक मुख्य बात बताने की है कि अंकित, बिन्दु और वेदान्त तीनों भारत के अलग-अलग शहरों में रहतें हैं, विगत वर्ष महोत्सव में पहली बार मिले थे, दूर रहने के परेशानी के बाद भी तीनों ने एक साथ मिलकर प्रस्तुति देने का निर्णय लिया था।
भक्तिरस के विभिन्न रंग -
सोनम कालरा एवं ‘द सूफी गाॅसपेल प्रोजेक्ट’ ने पहली बार महोत्सव में सहभागिता करते हुये गाॅसपेल गायन तथा सूफी गीतों के माध्यम से आस्था और विश्वास के नये आयाम प्रस्तुत किये ।
नीरज आर्य के ‘कबीर कैफे’ ने आधुनिक वाद्य यन्त्रों के प्रयोग द्वारा कबीर की कविताओं को अपने स्वर देकर अत्यन्त सुमधुर एवं कर्णप्रिय बना दिया । फिल्म निर्माता शबनम विरमानी तथा गायक/कवि/लेखक विपुल रिक्खी ने भी कबीर के गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी।
पंरमपराओं एवं भक्तिरस के कवियों पर वृत्त चित्र:
- ‘मन फकीरी’-निर्देशक एम0 के रैना, (कश्मीर के सूफियाना संगीत पर आधारित)
- ‘अछिन पाखी’ - निर्देशक - तनवीर मोक्कमल (बांग्लादेश)
- ‘दो दिन का मेला’ - निर्देशक - अंजली मोन्टेरियो तथा के0 पी0 जयाशंकर
- ‘द हेरिटेज आफ अमीर खुसरो- निर्देशक - युसूफ सईद एवं इफ्फत फातिमा
विशेष कार्यक्रम:
कार्यक्रमों की श्रृंखला में, नीरज आर्य तथा फ्लेमशाट फकीर्स ने उमेरखाडी रिमाण्ड, होम, डोंगरी आकर बच्चों के लिये गीत सुनाये, वहाँ रहने वाले परिवारों में कार्यक्रम के प्रति अत्यन्त उत्साह एवं उमंग के कारण यह कार्यक्रम अत्यन्त सफल रहा ।
मोरालाला मारवाड़ा जी ने एस.एस.आर.वी.एम. विद्यालय धारावी में बच्चों के लिये कच्छ लोक-संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। नैनिहाल (बालिका गृह, खारघर) की बालिकाओं द्वारा कार्टर रोड, बान्द्रा में दिये गये गीतों का कार्यक्रम बहुत खास रहा। नीरज आर्य, फ्लेम शाट फकीर्स के सहयोग से सहेज फाउण्डेशन द्वारा हर दो माह के अन्तराल पर ‘नौनिहाल’ संस्था के बच्चों के लिये संगीत की कार्यशाला आयोजित की जाती है। विगत कई माह से नौनिहाल की बालिकाऐं कबीर के गीतों को आधुनिक संगीत के सुरों में सजाने की शिक्षा, नीरज आर्य के दिशा-निर्देशन में सीख रही हैं। बड़ी लगन के साथ बालिकाओं ने कार्यक्रम की तैयारी की तथा कार्यक्रम के बाद अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव किया।
सह प्रायोजक, सहयोगी तथा कार्यकर्ता बन्धु:
‘किरन बजाज द्वारा वर्ष 2004 में स्थापित साहित्य-संगीत-कला को समर्पित संस्था (एन.जी.ओ.) ‘शब्दम्’ इस वर्ष के कबीर महोत्सव की सह-प्रायोजक थी। शब्दम ने भारत की सभी लोक कलाओं को एक सूत्र में जोड़कर एक साथ लाने का सार्थक प्रयास किया है। हिन्दी साहित्य में हो रहे नवीन कार्यों तथा पूर्व में रचित महान कृतियों को समाज के समक्ष लाने में संस्था का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने नाम की सार्थकता को चरितार्थ करते हुये एवं भाषा के महत्व को समझते हुये, हिन्दी तथा भारत की अन्य भाषाओं के मध्य एकरसता लाने का पुनीत कार्य, शब्दम संस्था द्वारा कई वर्षों से निरन्तर किया जा रहा है’- प्रीती तुर्किया, फाल्गुनी देसाई।
इनर कोर्टयार्ड, सोमाया विद्याविहार, शिशुवन स्कूल, रामाकृष्णा मिशन, कोमेट मीडिया फाउण्डेशन, टी0आई0आई0एस0एस0, आई0डी0सी0-आई0आई0टी0-बोम्बे, उर्दू मरकज, द ग्रेट इस्र्टन होम, उपवन कला महोत्सव, पंचम निशाद, ब्लू फ्राॅग, सोफिया पोलिटैक्निक, संगीत महाभारती, त्रिधा स्कूल जैसी संस्थाओं का सहयोग महोत्सव के लिये एक मजबूत आधार स्तम्भ की तरह है। इन सभी संस्थाओं के सहयोग से महानगर के इन स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। कई संस्थाओं ने कार्यक्रम पर हुये खर्च को भी खुद ही वहन करते हुये, आम जनता के लिये कार्यक्रम को निःशुल्क कर दिया।
इस बार सोमाया काॅलेज, विद्याविहार ने कलाकारों के ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध करायी। बैले रोब ने कलाकारों को जैकेट बनाकर दिये। छैच द्वारा महोत्सव का प्रचार कार्य अत्यन्त कुशलतापूर्वक किया गया। न्यू जैक प्रिन्टिंग प्रा0 लि0 ने महोत्सव के सुन्दर पत्रक मात्र लागत मूल्य पर ही हमें दे दिये। डिजिटल अकादमी द्वारा कई कार्यक्रमों की वीडियो रिकार्डिंग की गयी।
महोत्सव के आयोजनकर्ता जिन्हें हम कबीर समाज-मुम्बई के नाम से जानते हैं उन सभी ने अपना ही महोत्सव समझकर अपना बहुमूल्य समय, योग्यता, धन तथा वाहन के रूप में अपना सहयोग कबीर महोत्सव को प्रदान किया। वर्ष भर एक दूसरे से सम्पर्क तथा कार्यक्रमों में सहभागिता के कारण उनकी सहृदयता तथा सहयोग की भावना निरन्तर बनी रहती है। महोत्सव में सभी का स्वैच्छिक रूप में व्यक्तिगत तथा एक टीम के रूप में सक्रिय योगदान रहता है। सभी का समर्पण भाव, निःस्वार्थ सहयोग, सकारात्मक ऊर्जा तथा जोश ने महोत्सव को पूर्ण सफल बना दिया।
महोत्सव के महत्वपूर्ण आंकड़ों पर एक नजर-
- कलाकार एवं ग्रुप-46 से अधिक कलाकार, 8 ग्रुप तथा 2 व्यक्तिगत प्रस्तुतियाँ।
- प्रचार - 20,000 पत्रकों का वितरण, 300 से अधिक पोस्टर तथा बैनर्स लगाये गये, हमारे आॅन-लाईन सहयोगियों द्वारा लगभग 2 लाख लोगों को ई-मेल प्रेषित किये गये। सभी प्रमुख समाचार पत्रों तथा 10 से अधिक बेवसाइट्स पर कबीर महोत्सव से सम्बन्धित लेख प्रकाशित हुये। फेसबुक पर महोत्सव के पेज को 2000 से अधिक व्यक्तियों द्वारा पसन्द किया गया।
- महोत्सव के कार्यक्रमों में लगभग 8000 व्यक्तियों की उपस्थिति रही।
- नाम तथा सम्पर्क सूत्र के साथ लगभग 1500 फीड बैक स्लिप प्राप्त हुयी जिन्होंने हमारी ई-मेल सूची से जुड़ने की इच्छा जाहिर की, ताकि भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों की सूचनायें प्राप्त होती रहें। आगामी कार्यक्रमों में सहयोग देने हेतु अनेक व्यक्तियों ने अपने मोबाईल नम्बर भी दिये।
फोटो परिचय-
कबीर की फोटो एवं उनके दोहे
कलाकार लंखुदा बाउल के साथ शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज
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