कार्यक्रम- संतूर वादन
दिनांक- 9 नवम्बर 2017
आमंत्रित कलाकार- - संतूर वादक- अभय रुस्तम सोपोरी, तबला वादक- दुर्जय भौमिक
स्थान-हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित संस्कृति भवन।
संयोजन- स्पिक मैके एवं शब्दम्
स्पिक मैके और शब्दम् के संयुक्त तत्त्वावधान में बुधवार शाम को हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित संस्कृति भवन में आयोजित संतूर वादन कार्यक्रम में अभय रूस्तम सोपोरी जी ने संतूर के सुरीले स्वरों के माध्यम से जो रागों की तान छेडी तो सभी दर्शक अचंभित रह गए और तालियाँ बजाने पर मजबूर हो गए।
अभय रुस्तम सोपोरी ने संतूर के स्वर और रागांे के अलावा तबले पर तालों की जानकारी दी उन्होंने बताया संतूर मूलतः कश्मीरी संस्कृति का वाद्य है। इनका जन्म सौ तारों की वीणा से हुआ हैा संगीत की साधना निरन्तरता चाहती है, संगीत में किसी शाॅर्टकट से काम नहीं चलता, संगीत में धैर्य और समर्पण की आवश्यकता है संतूर भारत के सबसे लोकप्रिय वाद्ययन्त्र में से एक है संतूर का भारतीय नाम शत तंत्री वीणा था यानी सौ तारों वाली वीणा जिसे बाद में फारसी भाषा में संतूर नाम मिला वादन का आरम्भ करते हुए उन्होंने रोमांचित करने वाला राग रागेश्वरी सुनाया इसके बाद बधाई गीत उतारे तबले पर उनके साथ संगत कर रहे दुर्जय भौमिक ने भी अपने फन की बेहतरीन प्रस्तुति दी इसे सुनकर श्रोता वाह वाह करते रहे।
अभय रूस्तम सोपोरी परिचय-
अभय रुस्तम सोपोरी जी का जन्म श्रीनगर में कश्मीर के सूफियाना घराने में हुआ था। यह घराना परम्परागत संतूर वादन में नौ पीढ़ी द्वारा 300 साल से अधिक समय तक कार्यरत रहा है। अभय जी ने संगीत की शिक्षा अपने बाबा साहब पं. शम्भूनाथ सोपोरी से गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत ग्रहण की है, जो जम्मूकश्मीर में संगीत के पितामह के रूप में माने जाते हैं।
अभय जी ने पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित समारोहों में भाग लिया है। आपको जम्मूकश्मीर में प्रथम अंतरराष्ट्रीय ऐल्बम को प्रकाशित करने का श्रेय प्राप्त है।
अभय जी का संगीत कम्पोज़ीशन विश्वविख्यात जुविन महता जी द्वारा अपने प्रदर्शन में सम्मलित करके जम्मूकश्मीर को अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिलाया है।
अभय जी ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कृत फिल्मों में संगीत दिया है, जिसमें भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी जी के जीवन पर बनी एवं न्ण्छण्व्ण् में प्रदर्शित ‘महात्मा’ नामक फिल्म, शामिल है।
आपने मानचेस्सटर यूनीवर्सिटी में भी अध्यापन का कार्य किया है। आपको अंतरराष्ट्रीय कान्फरेन्स ज्म्क्ग् में प्रथम भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ के रूप में आमंत्रण का सौभाग्य प्राप्त है।
आपको जम्मूकश्मीर में संगीत विद्या सेे परिचय कराने का श्रेय प्राप्त है। आपको निम्न प्रतिष्ठित पुरस्कारांे से सम्मानित किया जा चुका है।
संगीत नाटक एकेडमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ युवा पुरस्कार 2006,
जे एण्ड के स्टेट अवार्ड-2011,
डाॅ. एस. राधाकृष्णनन नेशनल मीडिया अवार्ड-2017,
प्राइड आॅफ पेराडाइज़ अवार्ड-2016
प्राइड आॅफ इंडिया अवार्ड-2015
संगीत गौरव सम्मान-2015
आदि अनेकानेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
तबला वादक- दुर्जय भौमिक का परिचय-
कोलकाता निवासी श्री दुर्जय भौमिक एक प्रतिष्ठित तबलावादक हैं और उन्होंने लखनऊ घराने के विख्यात पंण्डित दुलाल नट्टा एवं पं. सुरेश तलबलकर से शिक्षा प्राप्त की है। आप दो दशकों से भारत के मुख्य संगीत समारोहों में तबला वादन की प्रस्तुति दे चुके हैं। आपको विदेशों जैसे यूएसए, रसिया, यूरोप, मिडिलईस्ट एवं जापान में भी अपनी कला की प्रस्तुति देने का गौरव प्राप्त है।
फोटो परिचय-
अभय रूस्तम सोपोरी की प्रस्तुति।
अभय रूस्तम सोपोरी एवं छात्र-छात्राओं के मध्य वादन के साथ संवाद।
संतूर वादन का आनंद लेते श्रोतागण।