परिचय- प्रशान्त मलिक एवं निशान्त मलिक
प्रशान्त मलिक एवं निशान्त मलिक, मलिक ब्रदर्स के नाम से विख्यात हैं जो दरबंगा की ध्रुपद परम्परा को प्रदर्शित करते हैं।
मलिक ब्रदर्स ने इस संगीत का प्रशिक्षण अपने पिता ध्रुपद मास्टर पण्डित प्रेम कुमार मलिक एवं दादा ध्रुपद शहीद पण्ड़ित विधुर मलिक से प्राप्त किया। मलिक ब्रदर्स की मुख्य विधा गोहरवानी एवं खण्डरवानी है।
मलिक ब्रदर्स ने परम्परागत ध्रुपद गायन के अलावा
बहुत सारे मध्य कालीन कविताएँ जैसे कबीर दास, स्वामी हरिदास, तुलसीदास को ध्रुपद गायन में शामिल किया।
मलिक ब्रदर्स की उपलब्धियां,
1- वर्ष 2013-14 में केद्रींय संगीत नाटक अकादमी से उस्ताद विस्मिल्ला खां युवा अवार्ड से नवाजा गया।
2- वर्ष 2015 में बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार के द्वारा बिहार राज्य अवार्ड, बिहार कला पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
3- पण्डित मनमोहन भट्ट मैमोरियल एवार्ड 2017 में पद्मभूषण पण्ड़ित विश्वमोहन भट्ट के द्वारा दिया गया।
4- वर्ष 2018 में राष्ट्रीय अवार्ड महाराणा मेवाड फाउण्डेशन, संगीत के क्षेत्र में उदयपुर के डगर घराना अवार्ड से नवाजा गया।
5- अंतराष्ट्रीय ध्रुपद धाम ट्रस्ट जयपुर के द्वारा ध्रुपद नाथ रत्न अवार्ड 2016 में दिया गया।
6- भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा जूनियर फेलोशिप अवार्ड वर्ष 2014-15 में दी गई।
7- सम्माननीय भाव से सुरनामी नाम सुर श्रंगार, समसाद] मुम्बई से दिया गया ।
8- वर्ष 2011 से आॅल इंडिया रेडियो एवं दूर दर्शन के ए ग्रेट के कलाकार हैं।
9- वर्ष 2019 में पद्मश्री पण्डित सियाराम तिवारी फाउण्डेशन पटना द्वारा पद्मश्री पण्डित सियाराम तिवारी जन्म शताब्दी एवार्ड दिया गया।
मलिक ब्रदर्स ने पूरे भारत में अनेकों संगीत कार्यशालाओं का आयोजन किया। मलिक ब्रदर्स 1999 से विदेशी यात्राएं की। उनके द्वारा अभी तक करीब 25 देशों में भ्रमण किया जा चुका है। उन्होंनेे कई म्यूजिक एलबम को धन उपलब्ध कराया। उन्होने प्रयागराज में ध्रुपद संगीत की उन्नति एवं अध्ययन के लिए ध्रुपद स्कूल जिसका नाम पण्डित विदुर मलिक एकेडमी खोला।
कार्यक्रम- शास्त्रीय संगीत गायन प्रस्तुति एवं कार्यशाला
दिनांक- 05 अगस्त 2019 से 8 अगस्त 2019
आमंतित्र कलाकार- रिंदाना रहस्या एवं साथी कलाकार श्रुति राज वर्मा
स्थान-
1- शान्ति देवी आहूजा महाविद्यालय, जसलई रोड, शिकोहाबाद
2- आईवी इंटरनेशनल एकेडमी, एन.एच.2 फिरोजाबाद
3- डिवाइन इंटरनेशन एकेडमी, सोथरा रोड़, सिरसागंज
4- एस.आर.एस. मैमोरियल स्कूल, एन.एच. शिकोहाबाद
5- शिव आदर्श एकेडमी, पाढ़म, जसराना।
6- राज कान्वेंट विद्यालय, स्टेशन रोड, शिकोहाबाद
7- हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित संस्कृति भवन
8- पी.एस. ग्लोब एकेडमी, मदनपुर, सिरसागंज
9- संस्कार इंटरनेशनल एकेडमी, डंडियामई
परिचय- रिंदाना रहस्या
रिंदाना रहस्या हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन की एक उभरती हुयी कलाकार है। रिंदाना जी को बचपन से ही संगीत में रूचि थी। उनकी संगीत के प्रति लगाव को देखते हुए श्री कृष्ण कुमार] रूपा शर्मा] नीरू महेता ने उन्हें विद्यालय स्तर से ही सहयोग किया। श्री मणिकुन्तला भौमिक के निर्देशन में इन्होंने गन्धर्व महाविद्यालय नई दिल्ली में संगीत की शिक्षा प्राप्त की। इन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन से स्नातक में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। वर्तमान में रिंदाना जी गुरू-शिष्य परपंरा के अन्तर्गत विदुषी उमा गर्ग जी से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय कला का अध्ययन प्राप्त कर रही है। वर्तमान में रिंदाना जी सहायक प्रोफेसर के पद दिल्ली विश्वविद्यालय में संगीत विभाग में कार्यरत है। आप आकाशवाणी की कलाकार भी हैं।
आपको प्राप्त पुरस्कार-
• यूजीसी द्वारा जूनियर एण्ड़ सीनियर रिसर्च फेलोशिप।
• दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो ए.एस. पैंटल मैमोरियल कैश आवार्ड, डाॅ. राकेश बाला सक्सेना कैश आवार्ड।
• उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार।
• गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, दिल्ली द्वारा संगीत साधक अवार्ड
• तुसार पंडित मेमोरियल अवार्ड नई दिल्ली
• आप स्पिक मैके की वर्कशाप कई जगह आयोजित कर चुकी है।
• दिल्ली, लखनऊ, पूना, जमशेद पुर, झारखण्ड उदयपुर इत्यादि भारत के सभी कोनों की यात्रा करते हुए आप शिकोहाबाद की धरती पर पधारी हैं।
परिचय साथी कलाकार- श्रुति राज वर्मा
श्रुति राज वर्मा, बचपन से ही संगीत की शिक्षा प्राप्त की है। प्रथम गुरु उनकी माँ श्रीमती अर्चना राज वर्मा है, जिनसे उन्होंने गायन की शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में तबले की शिक्षा बनारस घराने के प्रतिनिधि कलाकार पंडित सन्जू सहाय से प्राप्त कर रही हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से संगीत (गायन) से स्वर्ण पदक विजेता हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से तबला में पीएचडी कर रही हैं।
आपको प्राप्त पुरस्कार-
• बिहार कलाश्री सम्मान
• एचआरडी, मिनिस्टरी आॅफ संस्कृति
• यूजीसी- जूनियर रिसर्च फेलोशिप
स्पिक मैके का मुख्य उद्देश्य आज के युवाओं को भारतीय सांस्कृतिक परम्परा से उसके मूल रूप में परिचित कराना है] ताकि वे अपनी संस्कृति के गरिमापूर्ण सौन्दर्य एवं समृद्ध कलाओं की वैभवशाली महिमा को सिर्फ जानें ही नहीं, आत्मसात भी करें। उसके प्रति संवेदनशील रहकर समन्वयवादी मानवीयता के मूल चिन्तन का आधार पा सकें और भविष्य में किसी भी क्षेत्र में जाकर अपनी अस्मिता एवं जड़ों से जुड़े रह कर आत्मबल से भरपूर रहें। भारतीय शास्त्रीय संगीत हजारों-हजार साल से मानवीय अभिव्यक्ति का मुख्य साधन रहा है। विभिन्न कलाओं के श्रेष्ठतम कलागुरु देश भर में विद्यालयों एवं महाविद्यालयों तक जाकर साक्षात प्रदर्शन करते हैं। उनका उद्देश्य इसके द्वारा मनोरंजन नहीं वरन् युवाओं को सांस्कृतिक रूप से शिक्षित करना है। स्पिक मैके के इस उद्देश्य के साथ शब्दम् 2014 में जुड़ा। स्पिक मैके संस्थाप किरण सेठ और शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज के नेतृत्व में शिकोहाबाद चेप्टर का गठन हुआ। तब से लेकर आज तक स्पिक मैके चेप्टर ने ब्रज क्षेत्र के कई ऐसे ग्रामीण अंचल के विद्यालयों में यह कार्यक्रम कराएं है जहां पर मूलभूत सुविधाएँ भी नहीं हैं। अब तक लगभग 125 विद्यालयों में स्पिक मैके कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं।
फोटो केप्सन
शास्त्रीय संगीत गायक रिंदाना रहस्या
ध्रुपद गायक मलिक बन्धु।