कार्यक्रम- ‘हर बेटी-बहन को दुर्गा बनना होगा’ विचार गोष्ठी
दिनांक- 14 अक्टूबर 2015
स्थान- ज्ञानदीप सीनि.सेके.स्कूल, शिकोहाबाद
आमंत्रित- विभिन्न महाविद्यालयों, विद्यालयों के छात्र-छात्राएं
"कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है" आदर्श कृष्ण महाविद्यालय की छात्रा पूजा यादव ने जब इन पंक्तियों को ज्ञानदीप विद्यालय के सभागार में मंच से प्रस्तुत किया तो उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति उनके सम्मान में खड़ा हो गया।
गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी शब्दम् द्वारा नव दुर्गा के अवसर पर ‘हर बहन-बेटी का दुर्गा बनना होगा’ विचार गोष्ठी का आयोजन शिकोहाबाद स्थित ज्ञानदीप विद्यालय में किया गया।
शिकोहाबाद नगर के 11 महाविद्यालयों-विद्यालयों के 55 छात्र-छात्राओं ने इस संगोष्ठी में भाग लिया जो कि निम्नलिखित हैं।
- आदर्श कृष्ण महाविद्यालय
- पालीवाल महाविद्यालय
- नारायण महाविद्यालय
- संत जनू बाबा स्मारक महाविद्यालय
- प्रहलाद राय टिकामानी सरस्वती विद्या मन्दिर
- जे.एस. कॉलेज आफ एजूकेशन
- यंग स्कालर्स एकेडमी
- शान्ति देवी आहूजा महिला महाविद्यालय
- बी-डी.एम- गल्र्स इण्टर कालेज
- ज्ञानदीप सी.सेके. पब्लिक स्कूल
- मधुमाहेश्वरी कन्या सरस्वती विद्या मन्दिर
संगोष्ठी में उपस्थित छात्र-छात्राओं को निम्नलिखित पांच विंदुओं पर 2 मिनट के अन्दर अपनी बात रखने का अवसर दिया गया।
- बहन सशक्त कैसे हो ?
-आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक, शैक्षणिक, शारीरिक एवं वैचारिक रूप से सशक्त एवं स्वतंत्र बनाने हेतु क्या कदम उठाए जाने चाहिए। - बहन सुरक्षित कैसे हो ?
-सार्वजनिक स्थानों, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी एवं गैरसरकारी कार्यस्थलों आदि में उसके मान और मर्यादा की कैसे रक्षा हो। - बहन कुरीतियों से कैसे बचे ?
-कन्या भू्रणहत्या, कुपोषण, कन्या के लालन-पालन में भेदभाव, 18 वर्ष से कम आयु में विवाह] पर्दाप्रथा, दहेज के लिए प्रताड़ना आदि बुराइयों&कमजोरियों को हटाने के लिए क्या-क्या मजबूत कदम उठाए जाएं। - बहन के अधिकारों की रक्षा कैसे हो ?
-पारिवारिक-जन्मसिद्ध एवं कानूनी, सांविधानिक अधिकारों की रक्षा करने में भाई के सहयोग की भूमिका क्या हो ? - राष्ट्रनिर्माण में बहन की भूमिका कैसे दृढ़ हो ?
-राष्ट्रीय, राजनीतिक निजी क्षेत्र एवं शासकीय सेवाओं में रुचि एवं प्रतिभा के अनुकूल समान अवसर की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित हो।
जे.एस. कॉलेज आफ एजूकेशन की छात्रा दीक्षा गुप्ता ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा के साथ ही आत्म&निर्भर बनाना भी अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा। महिलाओं का क्षेत्र अब घर की चाहरदीवारी नहीं, बल्कि अब वे आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक रूप से सुदृढ़ होने लगीं हैं। यहीं से महिला सशक्तिकरण का प्रारम्भ होता है।
पालीवाल महाविद्यालय की छात्रा वैशाली सिंह ने कहा कि हमें अपनी सोच को कानून बनाने या बदलने से ज्यादा उन पर सही तरह से अमल करने में लगाना चाहिए। शिक्षा को लेकर नीतियां भी सही होनी चाहिए, अगर महिला शिक्षित होगी तभी सशक्त होगी।
संत जनू बाबा स्मारक महाविद्यालय की छात्रा चैधरी गुप्ता ने कहा कि ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’’ यह सिर्फ एक कहावत बनकर रह गयी है। हमारा देश काफी प्रगति कर रहा है और निःसंदेह आगे भी करेगा। स्त्रियों को उनका जितना सम्मान मिलना चाहिए] उतना नहीं मिल पा रहा है। आज नारी का सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक शोषण प्रत्येक कदम पर किया जाता है। अंत में उन्होंने कविता पढ़कर अपनी बात पूरी की।
"हर जगह मुँह की खाओगे
अगर बेटी को न अपनाओगे"
पालीवाल महाविद्यालय की शिवानी राठौर ने कहा ‘‘नारी का सैलाब जिस तरफ उमड़ जाता है, इतिहास गवाह है कि इतिहास बदल जाता है।’’ सब कहते हैं आज जरूरत सोच बदलने की है, मेरी सोच कहती है कि यदि हमें बदलाव देखना है, तो शुरुआत हमें स्वयं से करनी होगी।
प्रहलाद राय टिकमानी सरस्वती विद्या मंदिर की छात्रा नीतू यादव ने कहा कि आज हमारे देश में बेटियों को बेटे के समान स्थान तो दिया जा रहा है, लेकिन उनका सम्मान गायब होता जा रहा है। इसलिए मैं कहना चाहूँगी।
"बेटियों को बचालो-बेटियाँ ही देश का भविष्य हैं।"
फोटो परिचय-
विचार प्रस्तुत करती छात्रा।
विचार प्रस्तुत करता छात्र।
छात्र-छात्राओं का समूह छायांकन।
अध्यापकगण एवं छात्र-छात्राओं का समूह छायांकन।
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