नवांकुर संगीत समागम
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ एवं वृन्दावन शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 17 फरवरी 2005 को वृन्दावन शोध संस्थान परिसर में 'शब्दम्' के सहयोग से नवांकुर संगीत समागम के अन्तर्गत भारतीय शास्त्रीय संगीत का गायन, वादन एवं नृत्य का सुमधुर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इसमें कलाकारों ने प्रस्तुतियों का जादू बिखेरकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में कानपुर से आये अमरजीत जैन ने राग वागेश्वरी में वायलिन वादन कर श्रोताओं को सुमधुर संगीत के वातावरण में डुबो दिया। तबले पर संगत उनके भाई अभयजीत जैन ने दी। मथुरा के ध्रुपद गायक मुकेश कौशिक ने गायन प्रस्तुत कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं। बदायूँ से आई कुमारी खुशबू ने तबले पर एकल वादन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कानपुर की कत्थक नृत्यांगना कुमारी दीपशिखा विश्वास ने पारंपरिक कत्थक प्रस्तुत करते हुये अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। तबले पर संगत रामबाबू भट्ट व कपिल देव मिश्रा ने दी। हारमोनियम पर रमणलाल सेठ ने संगत दी।
कार्यक्रम का निर्देशन संगीत नाटय अकादमी लखनऊ के संगीत सर्वेक्षण सहायक श्री रविचन्द्र गोस्वामी ने किया।
इस मौके पर वृन्दावन शोध संस्थान के निदेशक प्रो. गोविन्द शर्मा ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि कला में संगीत का महत्वपूर्ण स्थान है। साहित्य का आनन्द वही ले सकता है जो विद्वान् हो लेकिन संगीत का आनन्द अज्ञानी भी ले सकता है। वर्तमान दौर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का ह्रास तथा पाश्चात्य संस्कृति को प्रश्रय मिल रहा है।
'शब्दम्' के सहयोग से ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है।