शिक्षक सम्मान- श्री पोरस मास्टर
दिनांक- 16 मार्च 2016, बुधवार
स्थान- हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित, कल्पतरू
शिक्षक सम्मान- श्री पोरस मास्टर
शब्दम् संस्था ने आर्केटेक्ट श्री पोरस मास्टर का शिक्षक सम्मान दिनांक 16 मार्च 2016 को शिकोहाबाद स्थित चिन्तन भवन में नारियल, सम्मान पत्र एवं वैजयन्ती माला पहनाकर किया।
इस अवसर पर आर्केटेक्ट श्री पोरस मास्टर ने वास्तु शास्त्र के संदर्भ में बोलते हुए कहा, वास्तुशास्त्र एक प्रचीन वैज्ञानिक विधि है जो हमारे भारतीय समुदाय में काफी प्रचलित है। यह वैज्ञानिक विधि घर बनाने की योजना, सार्वजनिक भवन और व्यक्ति गत भवन एवं उद्योगों के संयोजन करने हेतु प्रयोग में लायी जाती है।
प्राचीनकाल में निर्माण कार्य वास्तु आधारित होता था परन्तु धीरे-धीरे लोग इस शास्त्र से दूर होते गए परन्तु आज वास्तु शास्त्र फिर से प्रतिस्थापित हो रहा है।
लोग यह सुनिश्चित करना चाहते है कि उनके यहाँ कोई ख़राब स्थिति या परेशानी ना आये।
कोई भी घर 100 प्रतिशत वास्तु के अनुसार नहीं होता।
इस वजह से लोग अपने वास्तु को उन्नत बनाने के लिए अपने परिसर में लाखों रूपया ख़र्च कर देते हैं।
जब कि वास्तविकता यह है कि वास्तु, मनुष्य के जीवन में बहुत कम प्रभाव डालती है।
खागोल विद्या एवं ज्योतिष विद्या कुछ ऐसे प्रकार है जो अलग से प्रभाव डालते हैं
मैंने अपने 33 वर्ष के व्यवसायिक अनुभव से देखा कि ऐसे परिवार हैं जिन्होंने काफ़ी सफलता अर्जित की है, जबकि उनके घर, आॅफिस, फैक्ट्री, निवास आदि में बहुत खराब वास्तु सि़द्धान्तों का प्रयोग किया गया था ।
वास्तुविद् होने के नाते इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि आपका परिसर प्रसन्न, सुन्दर वातावरण में निर्मित हो और उसके अन्दर चुम्बकीय शक्तियों का मिश्रण है तो वास्तु का प्रभाव है, तो वह सकारात्मक और परिवार को खुशी देने वाला होगा। इसलिए इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि हर एक व्यक्ति को तर्कशील एवं सुन्दर वातावरण ध्यान में रखना चाहिए।
फोटो परिचय
कार्यक्रम के प्रारम्भ में वास्तुशिल्पी पोरस मास्टर पौधा रोपण करते हुए।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में वास्तुशिल्पी पोरस मास्टर पौधा रोपण करते हुए।
शब्दम् शिक्षक सम्मान पत्र के साथ पोरस मास्टर, शब्दम् अध्यक्ष एवं सलाहकार समिति।
वास्तु सम्बन्धित पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते वास्तुशिल्पी पोरस मास्टर।
वास्तु सम्बन्धित पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते वास्तुशिल्पी पोरस मास्टर।
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