पुस्तक चर्चा

कार्यक्रम विषय : व्यंग्य उपन्यास ‘‘हेड ऑफिस गिरगिट’’ एक मूल्यांकन

दिनांक : 5 फरवरी 2016, शुक्रवार

लेखक : श्री अरविन्द तिवारी

मुख्य अतिथि : श्री पुन्नी सिंह

मुख्य समीक्षक : डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ. चन्द्रंवीर जैन, डॉ. महेश आलोक

स्थान : हिन्द लैम्प्स परिसर, शिकोहाबाद

संयोजन : शब्दम्

शब्दम् द्वारा 05 फरवरी 2016 को हिन्द परिसर स्थित संस्कृति भवन में पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार श्री पुन्नी सिंह जी थे तथा अध्यक्षता वरिष्ठ सलाहकार श्री उमाशंकर शर्मा ने की। प्रमुख समीक्षक के रूप में डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’,, डॉ. महेश आलोक और डॉ. चन्द्रवीर जैन उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में श्री अरिवन्द तिवारी के उपन्यास ‘हेड आफिस के गिरगिट’ जो अनेक पुरस्कारों से समादृत है पर चर्चा का आयोजन रखा गया। सलाहकार समिति के सदस्य श्री मंजर उल वासै ने मुख्य अतिथि का परिचय कराने के बाद व्यंग्य उपन्यास हेड आफिस के बारे में सामान्य जानकारी दी।

प्रमुख समीक्षक डॉ. महेश आलोक ने कहा हेड आफिस के गिरगिट उपन्यास में, हेड आफिस का वातावरण ही उपन्यास का नायक है। इस उपन्यास में आए अन्य चरित्र इसके नायक को महानायक बनाते हैं। डॉ. आलोक ने उपन्यास के अनेक उद्धरणों का जिक्र करते हुए इसकी कथावस्तु की कसावट और व्यंग्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने श्रीलाल शुक्ल के रागदरबारी और ज्ञान चतुर्वेदी के बारामासी उपन्यास की परम्परा का उपन्यास बताते हुए हेड आफिस के गिरगिट की अनूठी व्यंजनाओं का जिक्र किया । शिक्षा विभाग के अधिकारियों और बाबुओं की कार्यप्रणाली का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए इस उपन्यास का लेखक भारत भर के सरकारी दफ्तरों का हाल बयां करता है।

डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ने शोधपरक समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा हेड आफिस के गिरगिट रागदरबारी की परंम्परा का एक बेहतरीन उपन्यास है। जैसे रागदरबारी की व्यग्योक्तियां सूक्तियां बन गयी हैं उसी तरह हेड आफिस के गिरगिट की अनेक व्यंग्योक्तियां हमारे सामने नई सूक्तियों के रूप में सामने आती हैं। डॉ. शर्मा ने प्रगतिवाद का जिक्र करते हुए कहा कि प्रगतिवाद ने आम आदमी को साहित्य के केन्द्र में ला दिया है। आज भी आम आदमी के दुःख दर्द का चित्रण साहित्य में किया जा रहा है। हेड आफिस के गिरगिट आम शिक्षक के शोषण की कहानी भी कहता है। यह उपन्यास बेहद पढनीय है।

समीक्षक डॉ. चन्द्रवीर जैन ने कहा कि व्यंग्य आम आदमी की बोलचाल में तबसे प्रयुक्त हो रहा है, जब वह साहित्य में भी नहीं आया था। डॉ. जैन ने उपन्यास में वर्णित भ्रष्टाचार और चारित्रिक कमजोरियों का जिक्र करते हुए कहा कि यह उपन्यास भारत के सभी सरकारी दफ्तरों की वस्तुस्थिति का चित्रण करता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात कथाकार श्री पुन्नी सिंह ने कहा यह उपन्यास, उपन्यास विधा में नया प्रयोग है इसके लिए मै लेखक को बधाई देता डॉ.। श्री पुन्नी सिंह ने व्यंग्य उपन्यास की धारणा को खारिज करते हुए कहा रागदरबारी भी उपन्यास में नया प्रयोग है। रागदरबारी को व्यंग्य उपन्यास कहना , उपन्यास की गरिमा को कम करना है। श्री पुन्नी सिंह ने कहा हेड आफिस के गिरगिट में पात्रों की भीड है। पात्रों की भीड होते हुए भी यह उपन्यास सफल रहा इसका मतलब यह नहीं है लेखक के इस तरह के अन्य उपन्यास भी सफल रहेंगे। पुन्नी सिंह ने इस उपन्यास की भाषा को बेहतर बताते हुए कहा कि ऐसी भाषा मेरे पास भी नहीं है।

लेखक श्री अरविन्द तिवारी ने सभी समीक्षकों एवं सभागार में उपस्थित संभागियों का आभार व्यक्त किया । श्री तिवारी ने इस उपन्यास की लेखन प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हेड आफिस में सम्पादक के रूप में कार्य करते हुए मैने इस उपन्यास की रूपरेखा तैयार की थी। मैने इस उपन्यास में लगभग 60 पृष्ठ सम्पादन के दौरान निकाल दिए जो इसकी कथा वस्तु को शिथिल कर रहे थे लेकिन व्यंग्य के रूप में सर्वश्रेष्ठ थे।

कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री उमाशंकर शर्मा ने श्री तिवारी को इस बात के लिए बधाई दी कि इस उपन्यास को लिखते समय उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि कहीं भी मर्यादा की सीमा का अतिक्रमण नहीं हो। व्यंग्य उपन्यासों में अक्सर मर्यादा की सीमाएं पार हो जाती हैं।

अन्त में कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्री मंजर उल वासै ने शब्दम् की ओर से सभी उपस्थित संभागियों एवं समीक्षकों का आभार व्यक्त किया एवं इस प्रकार के कार्यक्रमों की नींव रखने के लिए शब्दम् सलाहकारों को धन्यवाद दिया।

फोटो परिचय-

डॉ. रामसनेही लाल 'यायावर' अपनी समीक्षा रखते हुऐ ।

डॉ. चन्द्रवीर जैन अपनी समीक्षा रखते हुऐ ।

मंचासीन अतिथिगण।

समूह छायांकन।


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