‘‘मानस हो तो वही रसखान’’
कार्यक्रम : ‘रस महोत्सव’
दिनांक : 24 जनवरी 2016
स्थान : गोकुल, वृंदावन
आमंत्रित कलाकार : श्री मधुकर शर्मा एवं उनके साथी कलाकार श्रीमती शशिबाला एवं श्रीमती निकिता
संयोजन : शब्दम्
‘‘सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं।।
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तऊ पुनि पार न पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।।’’
रसखान की जन्मस्थली गोकुल में 24 जनवरी को रस महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। रसखान समाधि स्थल पर गुनगुनी धूप के नीचे रसखान के पद जब श्री मधुकर शर्मा के कण्ठ से निकल रहे थे तो उपस्थित सभी श्रोतागण नाचने को विवश हुए जा रहे थे। कई बार तो ऐसा लगा कि स्वयं रसखान आज एक बार पुनः गोकुल नगरी में मधुकर शर्मा के कण्ठ से अपने पदों का गायन कर रहे हैं और सामने बैठे श्रोतागण उन पर रास कर कृष्ण को रिझा रहे हैं।
कार्यक्रम का प्रारम्भ रसखान की समाधि पर इत्र लगाने से हुआ, इत्र लगाने के बाद रसखान की समाधि पर चादर चढ़ाकर पुष्प अर्पित किए गए। इसके बाद पद गायन के पूर्व चैतन्य गौड़ीय मठ के आचार्य का स्वागत हुआ। इस अवसर पर शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने अपने संदेश में कहा कि ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अन्य संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए। रसखान जैसे ब्रज भक्त कवियों को सुनना अपने आप में ब्रज संस्कृति भक्ति और साहित्य का संवर्धन है।
कार्यक्रम में रसखान के जीवन पर श्री मधुकर शर्मा ने पदों का गायन किया।
कार्यक्रम में श्री मधुकर शर्मा के सहयोगी श्रीमती शशिबाला, कु.निकिता के साथ-साथ रसखान-भक्ति ओढे़ साधुगण भी उपस्थित थे।
श्री मधुकर परिचय
श्री जे.एस.आर. मधुकर का जन्म 22 फरवरी 1971 में श्री वृंदावन धाम में हुआ। वृंदावन अपने आप में अध्यात्मिक दुनिया का यशस्वी गौलोका है। ऐतिहासिक रूप से वृंदावन धाम संगीत सम्राट श्री स्वामी हरिदास से सम्ब़़द्व है।
मधुकर जी ने अपनी प्रारम्भिक प्रशिक्षण की शुरूआत गुरू शिष्य परम्परा के अनुसार की। उनका गुरूकुल नाम अपने आप में गुरू उनके पिता विराज रसिक संत हितश्री अश्वदरमा जी जो स्वामी हरिदास परम्परा और जयपुर घराने के कारण पड़ा। उन्होंने अपने आगे की शिक्षा पंण्डित विद्याधर व्यास (ग्वालियर घराना), मुम्बई यूनिवर्सिटी, और पण्डित आस्करन शर्मा (मेवाती घराना) से प्राप्त की। उनकी आवाज में अपनी पिता, श्री ब्रज रसिक संत हितश्री अश्वदरमा जी की तरह गंहरी मधुर गूंज पैदा करने वाली तथा लोगों के दिलों को छूती है।
उनका गायन सर्वशक्ति मान भगवान श्री राधाकृष्ण को पूरे प्रेम और भक्ति के साथ समर्पित है। उन्होंने अपने बहुत सारे प्रदर्शन संगीत सम्मेलनों के द्वारा भारत-विदेशों और आकाशवाणी, दूरदर्शन अन्य धार्मिक चैनल जैसे-आस्था, शंकर, सनातन, दिव्य दर्शन, न्यूज 24, सोडम, सर्वधर्म संगम आदि पर दिये हैं।
उन्हें संगीत विसारद की उपाधि प्राप्त है। बहुत सारे कलाकार जैसे जगजीत सिंह, अनूप जलोटा, अनुराधा पोडवाल, सुरेश वाडेकर, शंकर महादेवन, हरीहरन, सोनू निगम, सुनिधी चैहान, शान, कृष्णा कविता मूर्ति, पंडिण्त जसराज, पं. राजन साजन मिश्रा, गोन्डे चा ब्रदर्स, अजय चक्रवर्ती आदि ने उनके संगीत निर्देशन में गाया है।
फोटो परिचय-
रसखान समाधि पर पुष्पार्चन करते कलाकर एवं अन्य।
रसखान समाधि पर समूह छायांकन।
कार्यक्रम में रसखान भक्ति का आनंद लेते श्रोतागण।
पद गायन पर थिरकते भक्तगण।