हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायिका महुआ मुखर्जी द्वारा ब्रज क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर संगीत की कार्यशाल एवं प्रस्तुति
कार्यक्रम : हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत एवं कार्यशाला
दिनांक : 2 नवम्बर से 4 नवम्बर 2015
स्थान : शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मैनपुरी, हिन्द परिसर।
आमंत्रित कलाकार : श्रीमती महुआ मुखर्जी एवं सहयोगी कलाकार कार्मेन उर्फ कलावती, आरती एवं सोनिया
संयोजन : स्पिक मैके शिकोहाबाद चेप्टर एवं शब्दम्
भारतीय सांस्कृति धरोहरों से युवा वर्ग को रूबरू कराने के लिए शब्दम् एवं स्पिक मैके चेप्टर शिकोहाबाद के सयुक्त तत्वाधान में दिनांक 2 नवम्बर से 4 नवम्बर तक फिरोजाबाद एवं मैनपुरी जनपद के विभिन्न विद्यालय/महाविद्यालयों में महुआ मुखर्जी द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया।
छात्र-छात्राओं ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की बारीकियों के बारे में जाना। कलाकार ने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया एवं अपनी प्रस्तुतियों की बारीकियों के बारे में बताया तथा प्रश्न भी पूछे। प्रत्येक विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने कलाकार द्वारा प्रयोग किए जाने वाले रागों को स्वयं द्वारा प्रस्तुत किया। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत एवं कार्यशाला में महुआ मुखर्जी ने के छात्र-छात्राओं को अपनी धुन के साथ सुरों की बारीकियों का अभ्यास कराया। जिसमें विद्यार्थियों ने उत्साह पूर्वक अपनी प्रतिभागिता दी।
इस कार्यशाल एवं कार्यक्रम का आयोजन शिकोहाबाद के ठा. तारा सिंह इण्टर कालेज, संत जनू बाबा महाविद्यालय, बी.डी.एम. इण्टर कालेज, फिरोजाबाद के जी.डी. गोइनिका पब्लिक स्कूल, मैनपुरी के कुँ. आर.सी. महाविद्यालय, सेण्ट मैरी स्कूल, सुदिती ग्लोबल एकेडमी, राजकीय महिला महाविद्यालय के लगभग 8000 छात्र-छात्राओं ने बड़े ही उत्साह के साथ इसमें भाग लिया।
विद्यालय-महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के मध्य महुआ मुखर्जी द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी गई जो विशेषकर ‘नदिया किनारे मोरा गांव सांवरे’एवं बेगम अख्तर की गजल ‘हमरी अटरिया पे आ जा सवरिया देखा-देखी बलम हुय जाए रे’ आदि से सम्बन्धित संगीत की प्र्रस्तुति दी। उपस्थित सभी श्रोताओं ने सक्रिय सहभागिता दी एवं विभिन्न रागों को सुनकर मंत्रमुग्ध हुए। महुआ मुखर्जी के साथ तानपुरा पर कार्मेन उर्फ कलावती, तबले पर आरती एवं सोनिया ने संगत दी।
सभी विद्यालयों में कलाकारों एवं चेप्टर कर्मियों का स्वागत किया गया एवं सभी जगह वाग्देवी के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवल के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुए। शिक्षकों, संगीत प्रेमियों ने भी हर्ष एवं उल्लास के साथ कार्यक्रम का आनन्द लिया।
महुआ मुखर्जी का परिचय
महुआ मुखर्जी पटियाला घराने से संबंध रखती हैं। उन्हें विदुषी संयुक्ता धोष, पंडित शान्तनु भटटाचार्य द्वारा’ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत’में प्रशिक्षण प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त है। वह प्रत्यक्ष रूप से पंडित अजय चक्रवर्ती की शिष्या हैं तथा Semi Classical Form की शिक्षा श्रीमती शिप्रा बसु से प्राप्त की है।
महुआ जी की मधुर आवाज जो इन्हें ईश्वरीय वरदान के रूप में प्राप्त है पूरी तरह से भारतीय संगीत की ‘खयाल’ एवं ‘ठुमरी’शैली के लिए उपयुक्त है।
उनके द्वारा रागों का भावपूर्ण गायन श्रोताओं को सदा मंत्रमुग्ध रखता है।उनकी राग संरचना, शानदार फ्रेजिंग तथा विभिन्न प्रकार के तान पैटर्न का व्यवस्थित प्रदर्शन उनके गायन के महत्वपूर्ण गुणो में से एक हैं।
वह अपने उल्लेखनीय गुणों में से जैसे खयाल, ठुमरी, कजरी, चैती इत्यादि के भावपूर्ण एवं मधुर गायन के कारण महान कलाकार हैं ।
महुआ मुखर्जी भारत एवं विदेशों के विभिन्न प्रतिष्ठित संगीत कार्यक्रमों जैसे भारतीय नाद परिषद सहित कई नामचीन कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। कार्यक्रमों की एक लम्बी फेहरिस्त हैं।
वह All India Radio की नियमित कलाकार हैं तथा भारतीय संस्कृतिक सम्बन्ध परिषद के कलाकारों के पैनल में शामिल है।
महुआ जी को ‘प्राचीन कला केन्द्र’ द्वारा ‘संगीत प्रभाकर’ तथा ‘संगीत विशारद’ की उपाधि दी गयी है।
वह हैदराबाद के निजाम राजा की ओर से सम्मानित हो चुकी है तथा उनके महल में भी अपनी प्रस्तुति दी है।
उनकी मधुर आवाज ने भारत एवं विदेशों में प्रसिद्धि एवं सम्मान दिलाई है तथा जिसकी वजह से ढेर सारे प्रशस्ति एवं पुरस्कार प्राप्त किए हैं। वर्तमान में महुआ जी ‘कल्पतरू आर्ट एकेडमी’की निर्देशक हैं।
शास्त्रीय संगीत एवं कार्यशाला की प्रस्तुति देती महुआ मुखर्जी।
सेण्ट मेरी स्कूल, मैनुपरी में प्रस्तुति देतीं महुआ मुखर्जी।
बी.डी.एम.म्यू कन्या महाविद्यालय शिकोहाबाद में शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति।
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत एवं कार्यशाला का अभिवादन करते स्कूली छात्र।