सरोद वादन
दिनांक : 20.08.2014
स्थान : संस्कृति भवन, हिन्द परिसर
कलाकार : सरोद वादक पं. विश्वजीत रॉय चौधरी एवं तबला वादक उनके साथी दुर्जय भौमिक
शब्दम् द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम की श्रंखला में स्पिक मैके के सहयोग से 20 अगस्त को ‘सुरमणि’ सरोद वादक पंडित विश्वजीत रॉय चौधरी ने संगीत संध्या को अपने रागों से अविस्मरणीय बना दिया। इसमें तबले पर उनका दुर्जय भौमिक जी ने दिया।
पं. विश्वजीत रॉय चौधरी ने सरोद की तानों से राग किरवानी और राग बंसत प्रस्तुत किया। राग किरवानी उत्तर और दक्षिण भारतीय दोनों ही स्थानों पर बहुत प्रसिद्ध राग है।
पं. विश्वजीत रॉय चौधरी ने एक शास्त्रीय वाद्धययंत्र सरोद के माध्यम से पाश्चात्य संगीत सुनने वालों को जिसप्रकार रागों के जाल में बांधकर मंत्रमुग्ध कर दिया वह वास्तविकता में भारतीय संगीत की एक विजय थी। सभी छात्र-छात्राएं, अन्य संगीत प्रेमी, सभा में हर धुन के बाद तालियों की गड़गड़ाहट के साथ नजर आए।
इस अवसर पर चौधरी जी ने संगीत की पंरपरा और उसके घरानों के बारे में उपस्थित श्रोताओं एवं स्कूली बच्चों को बताया। उन्होंने सभागार में उपस्थित सभी संगीत प्रेमियों का सरोद से परिचय कराया।
शब्दम् अध्यक्ष किरण बजाज के संदेश में उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से शब्दम् संस्था साहित्य-संगीत-कला के प्रसार के लिए निरंतर कार्य कर रही है। शब्दम् की मंशा रहती है कि हिन्दी और भारतीय भाषाएँ एवं संस्कृति के लिए कार्य कर रही संस्थाओं को बढावा मिले जिससे हिन्दी एवं संस्कृति जन-जन तक अपना उचित स्थान बना सके। हमारे समक्ष एक अद्वितीय उदाहरण है कि किस प्रकार, भारतीय संस्कृति एवं हिन्दी ज्ञान के माध्यम से मा0 नरेन्द्र मोदी भारतीय दिलों को छूकर दिल्ली तक पहुंच सके।
संस्कृति भवन में उपस्थित एक मुद्रा में संगीत रस लेते श्रोतागण
श्रोताओं को संगीत बारिकियां बताते हुय पं. विश्वजीत रॉय चौधरी
सरोद वादन करते हुये पं. विश्वजीत रॉय चौधरी
सरोद एवं तबला वादन करते पं. विश्वजीत रॉय चौधरी एवं दुर्जय भौमिक
सम्माननीय कलाकारों के साथ विद्यार्थी एवं शिक्षकगण
संस्कृति भवन हाॅल के मुख्य गेट पर कलाकार और सम्मानित अतिथिगण एवं शब्दम् टीम