विद्यादानम् महादानम्

निरक्षरता आधुनिक भारत का सबसे बड़ा कलंक है। अगर भारत को विकासशील देशों की सूची से निकलकर विकसित देशों की सूची में आना है, तो भारत के प्रत्येक नागरिक का साक्षर होना अनिवार्य है।

आज के आधुनिक भारत में भी लगभग 26 प्रतिशत लोगों को अक्षर बोध नहीं है। यह भारत के 74 प्रतिशत साक्षर लोगों के ज्ञान के ऊपर प्रश्नचिह्न है।

यदि हम केवल उ0प्र0 की बात करें तो वर्तमान समय लगभग 33 प्रतिशत लोग अभी अक्षर बोध से दूर हैं। हम बड़े गर्व के साथ अपने देश को भारत माता कहते हैं। परन्तु हम स्वयं से पूछे कि हमने इस अंधकार को मिटाने के लिये क्या-क्या प्रयत्न किये हैं।

उपर्युक्त भाव को केन्द्र बिन्दु बनाकर ‘विद्यादानम् महादानम्’ अभियान प्रारम्भ किया गया प्रथम चरण में यह अभियान] लोगों में यह जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है कि एक व्यक्ति केवल एक व्यक्ति को साक्षर बनाये।

वर्तमान में ‘विद्यादानम् महादानम्’ अभियान के तहत जनपद के लगभग 85 विद्यालय इस मुहिम से जुड़ चुके हैं। लगातार ‘विद्यादानम् महादानम्’ पत्र समाचार पत्रों के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाया जाता रहा है] शब्दम् संस्था के सदस्य डोर टू डोर पहुंचकर यह पत्र लोगों को दे रहे हैं तथा इस मुहिम से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गाँव -गाँव में चैपाल लगाकर भी मुहिम से जुड़ने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है।

हिन्द परिवार के सभी वेन्डर] सभी कर्मचारी एवं अधिकारियों को भी इस मुहिम से जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

भगवत् भास्कर पं श्रीकृष्णचन्द्र शास्त्री ‘विद्यादानम् महादानम्’ पत्र के साथ

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