विविधा

शब्द शक्ति की आराधना के लिए 'शब्दम्' की स्थापना स्वयं में भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिकता का स्वाभाविक रूप से संस्पर्श करती है। साथ ही 'शब्दम्' में ध्वनि, नाद एवं अर्थ तीनों का सम्मिलित रूप है।

विविधा में 'शब्दम्' के उल्लिखित एवं अन्य उद्देश्यॉं को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। इसी के अन्तर्गत आध्यात्मिक काव्य गोष्ठी, राष्ट्रभाषा हिन्दी को शिक्षण एवं बोलचाल की भाषा में प्रयुक्त करने के लिए प्रतियोगिताएँ एवं हिन्दी का गौरव बढ़ाने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पठनीय पुस्तकें, पत्रिकाएँ जन साधारण तक पहुँच सकें, इसके लिए पुस्तकालय एवं वाचनालय की स्थापना की गयी है। प्रारम्भ से छात्र-छात्राओं को शास्त्रीय संगीत के प्रति संस्कारित किया जा सके, इस हेतु विमला बजाज संगीतालय की स्थापना की गयी है।

यह स्वाभाविक सत्य है कि दूध का विकार ही दही होता है, वैसे ही मूल संस्कृत से धीरे-धीरे अनेक भाषाएँ विकसित हुई हैं। जहाँ तक राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रश्न है, वह संस्कृत से प्राकृत, प्राकृत से पाली, अपभश और अपभ्रंश से डिंगल-पिंगल शास्त्र की काव्यमय परिधि को छूते हुए ब्रजभाषा, अवधी, खड़ी बोली और फिर आज की हिन्दी तक का स्वरूप ग्रहण करती है।

विविधा में उपर्युक्त उद्देश्यॉं के आयोजनों को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है।

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