शब्दम् दस दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर

दिनांक- 5 जून से 15 जून 2015

स्थान- हिंद लैम्प्स परिसर, शिकोहाबाद

संयोजन- शब्दम्

शब्दम् संस्था ने इस वर्ष एक नया प्रयोग करते हुए दस दिवसीय (5 जून से 15 जून 2015) ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया। शिविर में 6 वर्ष से लेकर 65 वर्ष तक के कुल 77 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

शिविर में प्रतिभागियों के भीतर छुपी हुई प्रतिभा को निखारने के लिए विभिन्न प्रकार की कक्षाएँ चलाई गयीं।

सिलाई कला - शिक्षिका मधुशुक्ला ने प्रतिभागियों को सिलाई कला के गुण सिखाए, जिसमें सिलाई मशीन का तकनीकी ज्ञान एवं सिलाई मशीन के रख रखाव की जानकारी, सिलाई वस्त्रों में प्रारम्भिक टांके, ब्लाऊज एवं पेटीकोट बनाना सिखाया ताकि छोटे-छोटे कार्यों के लिए बालिकाएँ किसी पर निर्भर न रहें।

सौंदर्य वर्धन, साड़ी पहनने की कला एवं केश सज्जा - शिक्षिका मधु शुक्ला ने सौंदर्य वर्धन के लिए ब्लीच, फेशियल, मेलीक्योर, पेडीक्योर, बैक्सीन आदि पर प्रशिक्षण दिया। साड़ी पहनने की कला के अंतर्गत चार तरह की भारतीय साड़ी बंगाली, मराठी, साीधे पल्ले एवं उल्टे पल्ले के बारे में प्रशिक्षित किया। केश सज्जा के अंतर्गत फिशवाॅन, बटरफ्लाई, रूमाल वाला जूडा, फोर लेअर चोटी, सिक्स लेअर चोटी, बंगाली जूड़ा, खजूर चोटी, फ्रेंच चोटी के बारे प्रशिक्षण दिया।

मेहँदी कला - शिक्षिका कु. अमरीषा ने ऐरविक, इंडोऐरविक, बटिक, रजवाड़ी विधि से छात्राओं को मेहँदी लगाना सिखाया।

पौधशाला एवं पौधे लगाना - शिक्षक पुष्पेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि पौधशाला वानिकी विकास का चेतना केन्द्र है। इसके अंतर्गत गमले में पौधे लगाना, गमले में कटिंग के पौधे लगाना, खाद-मिट्टी मिश्रण तैयार करना एवं इसके अनुपात की जानकारी दी। साथ ही बीज द्वारा, कटिंग द्वारा एवं डिवीजन द्वारा पौधों का प्रसारण करने के तरीकों के बारे में भी प्रशिक्षण दिया।

काष्ठकला - शिक्षक दुर्ग सिंह ने विद्यार्थियों को कुर्सी, मेज, बाॅक्स, स्टूल एवं गोल टेबिल बनाने का प्रशिक्षण दिया। इसके अंतर्गत आरी, गुनिया, हेमर, पटासी, निहानी, ड्रिलमशीन, प्लेनर, पेचकस, प्लास, इंचीटेप एवं शिकन्जा आदि काष्ठकला औजारों के प्रयोग की जानकारी दी।

भारतीय नृत्य की कुछ हरकतें - नृत्य शिक्षिका कु. गीतिका चतुर्वेदी ने समर कैम्प में भाग लेने वाली छात्राओं को नृत्य कला के विषय में जानकारी दी। ‘‘मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया’ जैसे कलात्मक गीत पर छात्राओं को नृत्य सिखाया गया। नृत्य में बच्चों को सेमी क्लासिकल धुनों पर नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया। नृत्य को सीखने की ललक उम्र की सीमाओं को पार करके 6 वर्ष की दो बालिकाओं से लेकर 65 वसंत देख चुकी श्रीमती माया शर्मा तक पहुंची जिन्होंने प्रतिदिन बिना अनुपस्थित हुए नृत्य की शिक्षा ग्रहण की।

ग्रीष्मकालीन शिविर कैम्प के समापन पर सभी प्रतिभागियों के मन में यही टीस थी कि काश यह ग्रीष्मकालीन शिविर कुछ दिन और चल जाता। समर कैम्प के समापन पर प्रतिभागियों को शब्दम् प्रमाण पत्र, लेखनी से सम्मानित किया गया।

सौंदर्यीकरण कक्षा का दृश्य

काष्ठकला कक्षा का दृश्य

नृत्य करती महिलाएँ

प्रमाण पत्र के साथ समूह छायांकन

 

shabdam hindi prose poetry dance and art

previous topic