नवम् ग्रामीण कवि सम्मेलन

दिनांक- 17 मई 2015

आमंत्रित कविगण- श्री श्यामल मजूमदार, श्री अरविन्द धवल] श्रीमती चेतना शर्मा

स्थान- नीम की बगिया] निजामपुर गढूमा, माधौगंज, शिकोहाबाद

बेटियां जब चहकती हैं .................फूलों सी महकती है...............

शब्दम् ने अपना नवम् ग्रामीण कवि सम्मेलन ग्राम निजामपुर गढूमा की नीम की बगिया में आयोजित किया। संस्था द्वारा इस बार कवि सम्मेलन के मंच पर लखनऊ से आए हुए कवि श्री श्यामल मजूमदार, बदायूं से आए हुए श्री अरविंद धवल एवं आगरा से सुश्री चेतना शर्मा के साथ-साथ शब्दम् परिवार के सदस्य एटा से डाॅ. ध्रुवेन्द्र भदौरिया, शिकोहाबाद से डाॅ. महेश आलोक एंव श्री अरविंद तिवारी ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री उदय प्रताप सिंह अध्यक्ष उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा की गई हास्य व्यंगकार श्री श्यामलमजुमदार ने कहा कि ‘‘सियासत में यदि अन्धी कमाई न होती तो चेहरे पर उनके लुनाई न होती, जो कुत्ता उनका गटर में न गिरता तो गटर की कभी सफाई न होती ’’ से आज की राजनीति पर कटाक्ष किया। लेकिन बेटियों की रौनक से वो भी नहीं बच पाए और " बेटियां जब चहकती हैं, फूलों सी महकती हैं " ऐसी मर्मस्पर्शी पंक्तियों को उन्होंने अपने काव्यपाठ में जगह दी। ग्रामीण कवि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनता का काव्य से परिचय कराना है और यह परिचय इस बार गांव की घूघट वाली औरतों से भी हुआ जो पहली बार कवि सम्मेलन में भारी मात्रा में मौजूद थी।

शब्दम् ट्रस्टी एवं ग्रामीण कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे श्री उदयप्रताप सिंह जी, जिन्हें ग्राम समिति के अध्यक्ष श्री रामनरेश जी ने कार्यक्रम का दूल्हा कहकर संबोधित किया ने अपने चिर परिचित अंदाज में काव्य पाठ किया। श्री उदयप्रताप जी ने अपनी पंक्तियों में “सामाजिक परिदृश्य पर प्रहार करते हुए कहा कि ‘‘फूल कली ने ज़हर खा लिया तंग हुए मंहगाई से, हॅस्ती रही तिजोरी काली उन पर बेशर्मायी से”। साथ ही उन्होंने अपने आप को सभ्य कहने वाले समाज को आइना दिखाते हुए कहा कि ‘‘सभ्य देश की खबरे पढ़ कर आती शर्म निगाहों पर आज़ादी की लाश पड़ी है सरेआम चैराहों पर। कृष्ण बढ़ाते नहीं चीर अब द्रौपदियों की आहों पर, उल्टा पर्दा डाल रहे है नटवर लाल गुनाहों पर ।

शब्दम् सलाहकार समिति के सदस्य एवं समकालीन हिन्दी कविता के चर्चित कवि डॉ. महेश आलोक ने उदान्त भावनाओं से प्रेरित किशोरवय में लिखे गीत ‘‘छेड़ो प्रिय मधुर संगीत लय हो विश्व का क्रंदन......समाहित हो बने मृदु गीत” से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । इस गीत ने मंच पर उपस्थित कवियों के साथ-साथ समस्त सुधिजनों के मन पर अपनी अमिट छाप छोडी।

शब्दम् सलाहकार समिति के अन्य सदस्य एवं प्रख्यात व्यंगकार श्री अरविन्द तिवारी ने अपने काव्य पाठ में इस पुरूष प्रधान समाज पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘पिता बड़ा ही त्यागी होता है, पुत्र के प्रति अनुरागी होता है, बाप बनने के आसार होते ही, पत्नी का कराता है अल्ट्रासाउण्ड, कन्या भ्रूण हुई तो करवा देता है अन्डरग्राउन्ड” पर उपस्थित सभी श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया।

“अपनी तो सब उमर बीत गयी गिरवी और उधारी में” श्री अरविन्द धवल की कलम से निकली यह पंक्तियां किसी गाँव के बुर्जग की आपबीती बताती है। बदायूं से पधारे श्री अरविन्द धवल अपनी देसी अंदाज और ब्रज भाषा से गाँव वालों के काफी नज़दीक पहुंच गए। हर टूटते परिवार की कहानी को श्री धवल ने सरल भाषा से कुछ इस तरह श्रोताओं के समक्ष रखा ‘‘अम्मा ढुकढुक रोयी रही है बप्पा आज बिचारे हुये गए, भइ्या आज नियारे हुये गए”

कवियत्री सुश्री चेतना शर्मा ने लोक गीत से उपस्थित जनता को बहुत प्रभावित किया “बलमा हमारो बड़ो प्यारों निगोडी मंहगाई ने मारो री, महँर्गाई सुरसा सी ठाढ़ी, बिटिया अलग ब्याह को ठाढ़ी, बिन दहेज के छोरा मिले न कोई चोखो सुखारो री”

मंच के सफल संचालक डॉ. धु्रवेन्द्र भदौरिया ने स्त्री की रक्षा सर्वोपरि बताते हुए सीता का रक्षक जटायू और द्रोपदी चीरहरण के मूक दर्शक भीष्म पितामह की मनःस्थिति को बताते हुए कहा कि जटायू ने अपने प्राणों की परवाह ने करते हुए स्त्री की अस्मिता को बचाने का प्रयास किया वहीं भीष्म जैसे शूरवीर ने चीर हरण के दौरान मौन धारण किया।

इस कार्यक्रम में श्री हीरालाल यादव ने भी अपनी कविता का पाठ किया। श्री हीरालाल यादव पांच देशों की यात्रा साइकिल से कर चुके है एवं कई विशिष्टि पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

शब्दम् अध्यक्ष ने अपने संदेश में कहा कि ‘‘ ग्रामीण कवि सम्मेलन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं! अधिकांश भारत आज भी गांवों में बसता है। आजादी के 64 वर्ष बाद भी हमारे गाँवों का समग्र विकास नहीं हुआ है। विशेषकर सांस्कृतिक क्षेत्र में नवजागरण का स्तर अभी भी वांछनीय स्तर तक नहीं पहुँचा है। की राजनीतिकरण तो हुआ, किन्तु संतोषप्रद सांस्कृतिक उन्नयन नहीं हो पाया। इस कमी को हमें स्वयं पूरा करना होगा।

कविता मानव हृदय की संजीवनी है और हिन्द हमारी एकता का सूत्र हैं ग्रामीण कवि सम्मेलन हमारे सांस्कृतिक विकास का माध्यम बन सकता है । हम गाँव वाले है, किन्तु गवांर नहीं है। हम उन्नत विकसित ग्रामीण नागरिक हैं- यह कहने का समय आ गया है।”

ग्रामीण कवि सम्मेलन अपने उद्देस्य की पूर्ति करता हुआ नजर आया जब श्रीमती बजाज द्वारा रचित कविता बिटिया ने जनमानस के हृदय को छू लिया। आज के दौर में लड़कियों की सामाजिक स्थिति किसी से छुपी नहीं है, भ्रूण हत्या, बलात्कार एवं दहेज हत्याओं से प्रतिदिन अखबार भरे रहते है इन दो पंक्तियों ‘‘घर की उजयारी, सबसे न्यारी प्यारी बिटिया, सयानी बिटिया” से मानो श्रीमती बजाज ने बेटियों की रक्षा के लिए एक आहवान कर दिया।

इस अवसर पर शब्दम् ट्रस्टी मुम्बई से श्री नन्दलाल पाठक की कविता ‘‘ नगरीय जीवन से पीड़ित ह्रदय की पुकार । ग्रामीण जीवन को बधाई के साथ।। लुट लुटा सा महानगर खुद, कहाँ से यह तुमको प्यार देगा ? नज़र से ओझल जहाँ हुए तुम, नज़र से तुमको उतार देगा।................................ यहाँ हवाओं में विष भरा हे, यहाँ है किस्तों में मौत आती, यहाँ शिकारी हैं सब सभी के, कोई न अपना शिकार देगा। किसी को धन का गुमान है तो गुमाँ फ़क़ीरी का है किसी को, हुआ करो तुम खुदा, नगर यह तुम्हारी हस्ती नकार देगा” का पाठ मंच पर किया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ ज्ञानज्याति पब्लिक स्कूल की छात्राओं द्वारा सरस्वती वन्दना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत कर किया गया।

इस अवसर पर शिकोहाबाद के गणमान्य व्यक्ति- डॉ. ए.के. आहूजा, श्री उमाशंकर शर्मा, श्री मंज़र उलवासै, डॉ. रजनी यादव, श्री राधेश्याम यादव, श्रीराम आर्या, श्री एस.एस. यादव, श्री रविन्द्र रंजन, ग्राम समिति के सदस्य- श्री रामनरेश यादव, श्री रिंकू यादव, श्री महाराज सिंह,निजामपुर गढुमा ग्राम प्रधान श्री उदयवीर सिंह आदि उपस्थित थे एवं कार्यक्रम में विशेष सहयोग दिया।

कवियत्री श्रीमती चेतना शर्मा का हरित कलश देकर स्वागत करतीं शब्दम् सलाहकार डा. रजनी यादव

मंच पर उपस्थित मुख्य अतिथि एवं कविगण।

काव्यपाठ करते श्री अरविन्द धवल।

कविताओं का आनन्द लेते श्रोतागण।

आभार व्यक्त करते हुये ग्राम समिति के अध्यक्ष श्री रामनरेश यादव।

समूह छायांकन।

 

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