हिन्दी का भविष्य सुनहरा है: प्रो. केदारनाथ सिंह
समकालीन हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि प्रो. केदारनाथ सिंह के गरिमापूर्ण सानिध्य में शब्दम् का नवम् स्थापना दिवस समारोह संपन्न हुआ। विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें शब्दम् साहित्य सम्मान -2013 से सम्मानित करते हुए शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने सम्मानपत्र, अंगवस्त्र एवं श्रीफल भेंट किया।
समारोह में ‘हिन्दी का भविष्य’ विषय पर प्रो. केदारनाथ सिंह का व्याख्यान महत्वपूर्ण था। उन्होंने हिन्दी के चाहने वालों को आश्वस्त किया कि इस भाषा का भविष्य सुनहरा है। परंतु चेतावनी भी दी कि हिन्दी को अपना रवैया उदार रखना होगा। अन्य भारतीय भाषाओं के साथ समन्वय बनाना होगा और उनके शब्दों को आत्मसात करना होगा।
केदारजी ने सबसे पहले हिन्दी के संकटों को गिनाया। उन्होंने कहा कि एक समय रूस में बढ़ रहे पठन-पाठन ने वैश्विक पटल पर हिन्दी के खड़े होने की उम्मीद जगाई थी। लेकिन वहां की परिस्थियां बदल गईं। इधर शासक वर्ग ने इसे राजभाषा का दर्जा देने के बाद अपने दायित्व की इतिश्री कर ली और यह केवल कार्यालयों के नेमप्लेट तक रह गई।
लेकिन फिर भी वह आम आदमी की जरूरत के रूप मंे पल-बढ़ रही है। भारत के बाहर सूरीनाम और मारीशस जैसे स्थानों पर उसे बोला जा रहा है। चीन में रहने वाले हिन्दी प्रेमी व्यापारी, और पर्यटक हिन्दी सीखने को उत्सुक हैं। ऐसे में कई प्रश्न आ सकते हैं लेकिन हिन्दी समाप्त नहीं हो सकती। भाषाएं तो बनती-बिगड़ती हैं लेकिन एक बड़े भूभाग की भाषा इस प्रकार समाप्त नहीं हो सकती है। मनुष्य की बोली विश्व की सबसे बड़ी डिक्शनरी है। वहां पर भाषा सुरक्षित रहती है। यही वजह है कि एक नहीं, अनेक हिन्दियां दिखाई देती हैं।
शब्दम् के न्यासी एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह समारोह की अध्यक्षता करते हुए शब्दम् के हिन्दीहित कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हिन्दी का एक नया स्वरूप देखने को मिलेगा, परंतु हिन्दी वालों को अपनी संकीर्णता से बाहर आना होगा।
श्रीमती किरण बजाज ने संस्था के कार्यों का परिचय देते हुए स्वागत भाषण में कहा कि शब्दम् के नवम् स्थापना दिवस पर मुझे ऐसा लग रहा है कि आज शब्दम् और मेरी साहित्यिक चार धाम यात्रा सम्पूर्ण हुई। पहला धाम रामेश्वरम्, नन्दलाल पाठक के रूप में मुझे मिला। फिर 2004 में उदयप्रताप जी के रूप में दूसरा जगन्नाथ धाम मिला। नामवर सिंह के रूप में पिछले साल द्वारिकाधीश जी यहाँ पधारे और आज केदारनाथ जी स्वयम् दर्शन देने आ गये। इस तरह आज का दिन हम सबके लिए आनंद उत्सव है। श्रीमती बजाज ने वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार नंदलाल पाठक की गजल भी प्रस्तुत की।
डा. महेश आलोक ने केदारनाथ सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में प्रो. केदारनाथ सिंह एवं श्री उदयप्रताप सिंह द्वारा किए गए काव्यपाठ ने वातावरण को रसपूर्ण किया। कार्यक्रम में अनेक कवि, साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उपस्थित हुए।
प्रो. केदारनाथ सिंह का शाल व नारियल भेंट से स्वागत करतीं किरण बजाज
प्रो. केदारनाथ सिंह का सम्मान पत्र देकर सम्मानित करतीं किरण बजाज
उपस्थित आंगुतकों को सम्बोधित करते प्रो. केदारानाथ सिंह
कार्यक्रम के अंत में समूह छायांकन में उपस्थित प्रमुख लोग एवं शब्दम् पदाधिकारी।
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