ग्रामीणों ने किया काव्यरस का रसास्वादन
कार्यक्रम विषय :ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन
दिनांक : 13 जून, 2010
स्थान : ग्राम झमझमपुर, शिकोहाबाद
संयोजन : शब्दम्
आमंत्रित कवि : ओमपाल सिंह ‘निडर’, कुंवरपाल सिंह ‘भंवर’, बदन सिंह ‘मस्ताना’, सुरेष चैहान ‘नीरव’, मुन्नालाल ‘सौरभ’ एवं सुश्री व्यंजना शुक्ला।
शब्दम् ने काव्य रसधारा को ग्रामीणों के बीच ‘ग्रामीण कृषक कवि सम्मेलन’ के माध्यम से प्रवाहित किया गया। इस कवि सम्मेलन का आयोजन शिकोहाबाद क्षेत्र के ग्राम झमझमपुर के श्री हनुमान मन्दिर में किया गया। मुख्यअतिथि पूर्व सांसद श्री उदयप्रताप सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में यह कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सुश्री व्यंजना शुक्ला द्वारा सरस्वती वंदना ‘वीणा के तार बजाती नहीं तुम’’ से हुआ। तत्पश्चात् कवि श्री कुंवरपाल सिंह ‘भंवर’ ने गणेश वन्दना, भूर्ण हत्या एवं परिवार नियोजन पर अपनी हस्ताक्षर कविताओं का पाठन किया। कवि बदन सिंह ‘मस्ताना’ ने अपनी कविता ‘बूढे़ विष्वामित्रों का आशीष जरूरी है’’ तथा किसानों एवं गांव पर अपनी शिखर कविता ‘शहरों की तुलना में आज भी लगते हमको गांव सुहाने’’। मैनपुरी से पधारे कवि सुरेष चैहान ‘नीरव’ ने अपनी कविता ‘मोहे नौकरिया शहर की न भावै, पिया अपने गांव चले आवौ’’ एवं ‘अब बदल गये हैं गांव मेरे’’ पढ़ श्रोताओं को गांव की बदलती हुई तस्वीर दिखाई।
बेवर के ग्रामीण हास्य कवि मुन्नालाल ‘सौरभ’ ने अपनी हस्ताक्षर कविता ‘मोबाइल’, ‘गुइयां तुम्हें गांव घुमाऊँ’, एवं पर्यावरण पर अपनी कविता ‘ऊजड़ रही है भूिम आज चारों ओर सब वन बाग सब भारी पेड़ कटवाये हैं’’ पढ़ श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। तत्पश्चात् कार्यक्रम में एक मात्र कवियत्री सुश्री व्यंजना शुक्ला ने देश पर अपनी कविता ‘हमारा देश अब कितना पतन की ओर जायेगा?’’
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. ध्रुवेन्द्र भदौरिया ने भी विशेष आग्रह पर अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी रचना ‘जियो जगत के हित सदा, सकारात्मक सोच’, तत्ष्चात् कार्यक्रम के वरिष्ठ कवि एवं पूर्व सांसद ओमपाल सिंह ‘निडर’ ने पर्यावरण पर अपनी रचना ‘पर्यावरण से करोगे यदि खिलवाड़, तो कहीं पै बाढ़, कहीं सूखा पड़ जायेगा’ पढ़ ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण व वृक्षारोपण का संदेष दिया।
अन्त में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, वरिष्ठ कवि, पूर्व सांसद व शब्दम् उपाध्यक्ष श्री उदयप्रताप सिंह ने अपनी रचना ‘ऐसे नहीं संभलकर बैठो, तुम हो पहरेदार वतन के’ का पाठ किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष उमाशकर शर्मा अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में शब्दम् के कार्यों पर प्रकाश डाला। डा0 ओ.पी. सिंह ने शब्दम् अध्यक्ष श्रीमती बजाज के संदेष ‘‘‘शब्दम्’ जन मानस से कोई भी स्वार्थजनित अपे़क्षा नहीं रखती, पर ‘शब्दम्’ चाहती है कि हिन्दी भाषा, संस्कृति और साहित्य जन-जन तक पहुंँचे। भारत का आम आदमी अपनी राष्ट्रभाषा के लालित्य और ऊँचाई को सुने। भाषा द्वारा ही संस्कृति पनपती है, बड़े-बड़े कवि, लेखक, विचारक अच्छे विचारों में संवेदन शीलता का सृजन कर जनसाधारण को असाधारण बना देते हैं।’’
![]() ![]() |