'शब्दम्' द्वारा हास्य व्यंग्य नाटक प्रस्तुति - ''बिजूके''

scene from playदिनांक 12 अगस्त, 2005 को हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित स्टाफ क्लब में एक हास्य व्यंग्य नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक में हास्य के साथ-साथ आज के भ्रष्टाचार के युग में रिश्वत के आधार पर जो अयोग्य व्यक्ति बड़े पदों पर पहुँच जाते हैं, उन पर सीधा कटाक्ष किया गया।

यह एक ऐसे अधिकारी की कहानी है। जो ऊँची कुर्सी पर बैठ तो गया परन्तु योग्यता की कमी के कारण अपने मातहत के सुझावों का मुहताज बना रहता है। ऐसे ही किसी सुझाव पर प्रशासन की मुहर लगाकर किसानों पर थोप देता है। इस गलत निर्णय का लाभ उठाकर उसका मातहत चालाक कर्मचारी अधिकारी को फंसाकर स्वयं उस कुर्सी पर बैठना चाहता है परन्तु सी.आई.डी. विभाग के हस्तक्षेप के कारण दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।

व्यंग्य व हास्य से भरपूर इस एकांकी नाटक ने पूरे 1घंटा 15 मिनट तक दर्शकॉ को मंत्र मुग्ध कर रखा। ''बिजूके'' के निर्देशक श्री ओ.पी. खण्डूड़ी तथा सह निर्देशक श्री अनिल मिश्रा ने बड़ी कुशलता से इसका संचालन किया। बिजूके के कहानी लेखक श्री ए.के. मिश्रा तथा संयोजक श्री वी.एम. राठी थे।

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