''जाओ लला अब हुई गई होरी''
होली की फागुनी मादकता को साकार किया, दिनांक 24 मार्च 2005 की सांस्कृतिक संध्या ने। हिन्द लैम्प्स परिसर में आयोजित इस रसवन्ती ब्रजहोली की अविस्मरणीय प्रस्तुति का प्रारम्भ '....श्याम लग्यौ संग डोले....' से हुआ।
राग बसन्त पर आधारित गीत '..... ब्रज में हरि होरी मचाई.....' ने सचमुच में होली का वातावरण रच दिया। ''.... कोई नार नैना मार गई कजरारे....'' ने ब्रज फाग को, मंच पर उपस्थित कर दिया।
हवेली संगीत के सुप्रसिध्द गायक श्री हरिबाबू कौशिक ने अपने पदों का गायन किया। तत्पश्चात् राधाकृष्ण के भावपूर्ण नृत्य ने समारोह में श्रृंगार के साथ आध्यात्मिकता का रस उड़ेल दिया।
''बिहारी जी के कैसे कंटीले दोनों नैन...' तथा 'फागुन में मेरे यार गूजा खाइ जइयो...' जैसे फाग गीतों ने माहौल में माधुर्य घोल दिया।
कार्यक्रम का समापन बरसाने की लट्ठमार होली से हुआ। इस कार्यक्रम को श्री राजेश शर्मा के निर्देशन में आगरा तथा मथुरा आकाशवाणी के कलाकारों ने प्रस्तुत किया, जिनमें प्रमुख थे डॉ. वन्दना तैलंग, डॉ. अलका राजेश, श्री मयूर कौशिक, श्री जगदीश ब्रजवासी, श्री ओमप्रकाश डांगुर, सुश्री वन्दना सिंह, श्रीमती मनोरमा तिवारी, श्री हरिबाबू कौशिक एवं उनके साथी।
![]() |
![]() |