'साहित्यकार से मिलिए'
दिनांक 30 जुलाई 2005 को हिन्द लैम्प्स परिसर स्थित 'कल्पतरु' में 'साहित्यकार से मिलिए' कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति में चर्चित गीतकार एवं कवि डा. बुध्दिनाथ मिश्र ने अपनी कविताओं का सुमधुर पाठ कर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण से हुआ। संस्था की अध्यक्ष श्रीमती किरण बजाज ने डा. बुध्दिनाथ मिश्र को हरीतिमा कलश भेंट कर उनका स्वागत किया तथा अपना अध्यक्षीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि, ''हमें आशा है कि साहित्यकार से मिलिए कार्यक्रम शृंखला को नयी गति मिलेगी एवं ऐसे गीतकारों-कवियों को एक मंच मिलेगा, जिन्होंने हिन्दी कविता को नई ऊँचाई प्रदान की हो।'
कार्यक्रम का संचालन कर रहे डा. सुबोध दुबे ने डा. बुध्दिनाथ मिश्र का विस्तृत परिचय कराया एवं हिन्दी कविता एवं नवगीत में उनके योगदान को सबके समक्ष प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में डा. बुध्दिनाथ मिश्र ने अपनी कई कविताओं का सुमधुर पाठ किया, जिसमें उनकी चर्चित कविता 'एक बार फिर जाल फेंक रे मछेरे, जाने किस मछली का ...........', 'एक किरन भोर की उतराई ऑंगने, रखना इसको संभालकर........' आदि थी।
पर्यावरण को समर्पित एक मुक्तक 'तुमने कोठी महल बनाया नाती-पोतों की खातिर, पानी नहीं बचाया नाती-पोतों की खातिर।' कविता पढ़ी। जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
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डा. बुध्दिनाथ मिश्र :- कृतियॉ:- सम्मान / पुरस्कार :- सम्प्रति :- |
एक किरन भोर की पानी पर एक मुक्तक :- तुमने कोठे महल बनाये, नाती पोतों की खातिर। |
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